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____ ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र सा and get initiated properly.” And he left Pundarikini city and commenced his journey in the direction the Sthavir ascetic had gone. He kept on moving from one village to another.
कण्डरीक की पुनः रुग्णता 15 सूत्र २२ : तए णं तस्स कंडरीयस्स रण्णो तं पणीयं पाणभोयणं आहारियस्स समाणस्सा
र अतिजागरिएण य अइभोयणप्पसंगेण य से आहारे णो सम्मं परिणमइ। तए णं तस्स कंडरीयस्स से 15 रण्णो तंसि आहारंसि अपरिणममाणंसि पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि सरीरंसि वेयणा पाउब्भूया डा 12 उज्जला विउला कक्खडा पगाढा जाव दुरहियासा पित्तज्जर-परिगयसरीरे दाहवक्कंतीए याविटी
होत्था। र सूत्र २२ : इधर गरिष्ट आहार करने वाले राजा कण्डरीक को रात्रि को अति जागरण और सी 15 दुष्पाच्य भोजन की अधिकता के कारण अपच हो गई। कण्डरीक को शरीर में आहार आदि का SI र सम्यक् पचन-पाचन न होने के कारण एक बार मध्य रात्रि के समय उसके शरीर में तीव्र, विपुल, 5 कर्कश, गहन, असह्य, प्रचण्ड और दुःखद वेदना उत्पन्न हो गई। उसके शरीर में पित्त ज्वर व्याप्त र हो गया और सारे शरीर में जलन, दाह उत्पन्न होने लगी। » KANDAREEK'S AILMENT RELAPSES
22. Due to the rich food he consumed and late night activities he indulged $ in, king Kandareek started suffering from stomach problems like indigestion. - Once at midnight due to indigestion he got an attack of a sharp, acute,
extreme, intolerable, and agonizing stomach ache. He also got bile-fever and 15 had burning sensation throughout his body.
सूत्र २३ : तए णं से कंडरीए राया रज्जे य रढे य अंतेउरे य जाव अज्झोववन्न 15 अट्ट-दुहट्ट-वसट्टे अकामए अवसवसे कालमासे कालं किच्चा अहे सत्तमाए पुढवीए
उक्कोसकालट्टिइयंसि नरयंसि नेरइयत्ताए उववण्णे। 5 सूत्र २३ : राज्य, राष्ट्र, अन्तःपुर आदि में अतीव आसक्ति के कारण राजा कण्डरीक डा र आर्त्तध्यान में डूब गया और अनायास, आकस्मिक और अकाल मरण को प्राप्त हुआ। उसने सातवींद्र 15 निम्न पृथ्वी में सर्वाधिक स्थिति वाले नरक में नारक जीव के रूप में जन्म लिया।
2 23. Due to his extreme attachment with his palace, kingdom, and state, टे 15 king Kandareek went into deep depression and embraced a sudden and 115 premature death. He reincarnated as a hell being in the seventh hell having si
the longest span of life among hells.
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JNĀTĀ DHARMA KATHĀNGA SUTRA Annnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnn
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