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र उन्नीसवाँ अध्ययन : पुण्डरीक
( ३३७ ) SI 5 ABANDONING THE ASCETIC LIFE 5 19. Now King Pundareek asked, “Bhante! Do you have the desire to enjoy S R mundane pleasures?" र Kandareck replied, “Yes, I do."
सूत्र २0 : तए णं पोंडरीए राया कोडुंबियपुरिसे सहावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी-खिप्पामेव 15 भो देवाणुप्पिया ! कंडरीयस्स महत्थं जाव रायाभिसेयं उवट्ठवेह।' जाव रायाभिसेएणं द
र अभिसिंचइ। 15 सूत्र २0 : यह सुन राजा पुण्डरीक ने अपने सेवकों को बुलाया और कहा-“देवानुप्रियो ! द र शीघ्र ही कंडरीक के लिए समृद्धिवान और महान पुरुषों के योग्य राज्याभिषेक की तैयारी करो।" हा 5 और उसने समारोहपूर्वक कंडरीक का राज्याभिषेक कर दिया। कंडरीक श्रमण जीवन छोड़ ट 15 राज-सिंहासन पर जा बैठा। र 20. King Pundareek at once called his servants and said, “Beloved of gods! ट 5 Make arrangement for coronation of Kandareek, befitting affluent and great
persons, at once." And he crowned Kandareek with all ceremonies and 2 festivities. Kandareek left the ascetic ways and ascended the throne.
___ सूत्र २१ : तए णं पुंडरीए सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेइ सयमेव चाउज्जामं धम्म द र पडिवज्जइ, पडिवज्जित्ता कंडरीयस्स अंतिअं आयारभंडयं गेण्हइ, गेण्हित्ता इमं एयारूवं
अभिग्गहं अभिगिण्हइ-'कप्पइ मे थेरे वंदित्ता णमंसित्ता थेराणं अंतिए चाउज्जामं धम्म द 12 उवसंपिज्जत्ता णं तओ पच्छा आहारं आहारित्तए' त्ति कट्ट इमं च एयारूवं अभिग्गहंड 15 अभिगिण्हेत्ता णं पोंडरीगिणीए पडिणिक्खमइ। पडिणिक्खमित्ता पुव्वाणुपुव्विं चरमाणे गामाणुगामं दा
र दूइज्जमाणे जेणेव थेरा भगवंतो तेणेव पहारेत्थ गमणाए। 15 सूत्र २१ : राजा पुण्डरीक ने स्वयं ही पंचमुष्टि लोच किया और स्वयं ही चातुर्याम धर्म द र अंगीकार कर लिया। फिर कण्डरीक से श्रमण के रजोहरण-पात्र आदि ले लिए, और इस प्रकार , र का अभिग्रह ग्रहण किया-स्थविर भगवन्तों को वन्दना कर उनसे चातुर्याम धर्म ग्रहण करने के ट 5 पश्चात् ही मुझे आहार करना कल्पता है।" यह संकल्प कर वह पुण्डरीकिणी नगरी के बाहर र निकला और जिस दिशा में स्थविर भगवन्त थे उस दिशा में एक के बाद दूसरा ग्रामं पार करता है 5चलने लगा। 2 22. King Pundareek, on his own, performed the five fistful pulling out of 9
hair and got initiated into the four dimensional religion as an ascetic. He Kthen took the formal requisites of an ascetic like the broom and alms-pots a
and resolved, "I will not accept any food until I behold the Sthavir Bhagavant 5 CHAPTER-19 : PUNDAREEK
( 337) ट FAAAAAAAAAAAnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnn
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