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During the last quarter of the day they all got ready after putting on their armour. They equipped themselves with various weapons and other tools of their trade. Taking cow-head shields and bare swords with them, they hung quivers on their shoulders, stringed their bows, and took arrows in their hands. They started tossing spears and lances in air. They also tied bells on their thighs and started blowing trumpets. Their loud hails and exchanges produced a tumultuous sound like the thunder of waves. With such an uproar the gang came out of Simha-Gupha and proceeded toward Rajagriha. A short distance from Rajagriha, they entered a dense jungle and waited for sunset.
"अठाहरवाँ अध्ययन: सुंसुमा
सूत्र २३ : तए णं से चिलाए चोरसेणावई अद्धरत्तकालसमयंसि निसंतपडिनिसंतंसि पंच हिं ) चोरसएहिं सद्धिं माइय-गोमुहिएहिं फलएहिं जाव मूइआहिं ऊरुघंटियाहिं जेणेव रायगिहे नरे पुरच्छिमिल्ले दुवारे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता उदगवत्थिं परामुसइ, परामुसित्ता आयंते ) चोक्खे परमसुइभूइ तालुग्घाडणिविज्जं आवाहेइ, आवाहित्ता रायगिहस्स दुवारकवाडे उदएणं 'अच्छोडेर, अच्छोडित्ता कवाडं विहाडे, विहाडित्ता रायगिहं अणुपविसइ, अणुपविसित्ता महया ) महया सद्देणं उग्घोसेमाणे उग्घोसेमाणे एवं वयासी
सूत्र २३ : आधी रात के समय जब चारों ओर शान्ति और सन्नाटा छा गया तब चिलात अपने पाँच सौ चोर साथियों सहित, अपनी प्रतिरक्षा हेतु ढाल, भालू की खाल, घण्टिया आदि शरीर पर बाँधे, राजगृह नगर के पूर्व दिशा वाले द्वार पर पहुँचा । वहाँ चिलात चोर सेनापति जल की मशक में से एक अंजलि जल लेकर आचमन कर शुद्ध हुआ, और ताला खोलने की विद्या का आह्वान ) कर द्वार पर अभिमन्त्रित जल छिड़का । द्वार खुल गया और सब चोर नगर में घुस गये । चिलात ने ऊँचे स्वर में घोषणा की
23. At midnight when there was peace and quiet all around, Chilat and his gang arrived at the eastern gate of Rajagriha. They had tied shields, bear-skins, and bells on their body for protection. At the city gate Chilat took water in his cupped hand from a leather canteen, washed his hands, and invoking the power that opens locks, sprinkled the energized water on the gate. The gate opened and all the thieves entered the city. Once in the city Chilat uttered a challenge loudly
सूत्र २४ : एवं खलु अहं देवाणुप्पिया ! चिलाए णामं चोरसेणावई पंचहिं चोरसएहिं सद्धिं सीहगुहाओ चोरपल्लीओ इहं हव्वमागए धण्णस्स सत्थवाहस्स गिहं घाउकामे, तं जे णं णवियाए ) माउयाए दुद्धं पाउकामे, से णं निग्गच्छउ' त्ति कट्टु जेणेव धण्णस्स सत्थवाहस्स गिहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता धण्णस्स - हिं विहाडे |
CHAPTER - 18 : SUMSUMA
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