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मज्ज र सत्रहवाँ अध्ययन : आकीर्ण
( २९९ ) SI 15 जैसे यहाँ कालिक द्वीप कहा है, वैसे अनुपम सुख प्रदान करने वाला श्रमणधर्म समझना चाहिए। दा र अश्वों के समान साधु और वणिकों के समान अनुकूल उपसर्ग करने वाले (ललचाने वाले) लोग ड
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र हैं॥१॥
15 जैसे शब्द आदि विषयों में आसक्त न होने वाले अश्व जाल में नहीं फँसे, उसी प्रकार जो साधु SI र इन्द्रियविषयों में आसक्त नहीं होते वे कर्मों से बद्ध नहीं होते।॥२॥ 5 जैसे अश्वों का स्वच्छंद विहार कहा, उसी प्रकार श्रेष्ठ मुनिजनों का जरा-मरण से रहित और ड र आनन्दमय निर्वाण समझना। तात्पर्य यह है कि शब्दादि विषयों से विरत रहने वाले अश्व जैसे र स्वाधीन-इच्छानुसार विचरण करने में समर्थ हुए, वैसे ही विषयों से विरत महामुनि मुक्ति प्राप्त ट 5 करने में समर्थ होते हैं॥३॥ र इससे विपरीत शब्दादि विषयों में अनुरक्त हुए अश्व जैसे बन्धन-बद्ध हुए, उसी प्रकार जो 5 विषयों में अनुरागवान् हैं, वे प्राणी अत्यन्त दु:ख के कारणभूत एवं घोर कर्मबन्धन को प्राप्त करते दा र हैं॥४॥ 5 जैसे शब्दादि में आसक्त हुए अश्व अन्यत्र ले जाए गए और अनेक दुःखों को प्राप्त हुए, उसी ट 15 प्रकार धर्म से भ्रष्ट जीव अधर्म को प्राप्त होकर दुःखों को प्राप्त होते हैं॥५॥
र ऐसे प्राणी कर्मरूपी राजा के वशीभूत होते हैं। वे सवारी जैसे सांसारिक दुःखों के, अश्वमर्दकों 15 द्वारा होने वाली पीड़ा के समान (परभव में) नारकों द्वारा दिये जाने वाले कष्टों के पात्र ई र बनते हैं।॥६॥
THE MESSAGE
Kalik island is the ultimate bliss giving Shraman-Dharma (the spiritual path shown by Tirthankars). The horses are ascetics and the merchants are 2 those people who create temptations (1)
As the horses which were not lured by sensual pleasure remained free, in 15 same way the ascetics who are not lured by sensual pleasures remain free of S 5 the bondage of Karmas. (2)
The free movement of horses is the blissful state of Nirvana that is free of 5 old age and death. This means that as the horses which were not attracted 5 by sensual allurements were able to roam free, in same way ascetics 5 indifferent to sensual pleasures are able to attain liberation. (3) ? Just as the horses that were drawn by attractions were trapped, in same 5 way beings who are attached to carnal pleasures are trapped in the bondage 5 of Karmas, the root of extreme sorrow. (4) P CHAPTER-17 : THE HORSES
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