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सत्रहवाँ अध्ययन : आकीर्ण
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सूत्र १६ : जब जहाज भरकर तैयार हो गये और पवन अनुकूल हुआ तब वे राजसेवक व्यापारियों के साथ रवाना हुए और कालिक द्वीप के निकट पहुँचे। यहाँ लंगर डालकर छोटी नावों में सामान भरकर द्वीप में उतारा। यह सब सामान लेकर वे राजसेवक जहाँ-जहाँ घोड़े बैठते, सोते या लोटते थे वहाँ-वहाँ गये, आस-पास में जाल बिछाये और पूर्वोक्त वाद्ययंत्रों से मधुर ध्वनियाँ निकालने लगे। फिर वे निश्चल, निस्पन्द और मूक होकर छुप गये ।
FIXING THE SNARES
16. After the ships were loaded and when the wind favoured, they left Gambhir port and arrived near Kalik island. They anchored the ship and disembarked. The ship was unloaded and the cargo was transferred to the island with the help of small boats. The servants of the king then went to the places where the horses rested or tumbled in the sand and fixed snares and played musical instruments for some time. After that they hid themselves, made themselves absolutely still and waited silently.
सूत्र १७ : जत्थ जत्थ ते आसा आसयंति वा जाव तुयट्टंति वा, तत्थ तत्थ णं त कोडुंबियरिस बहूणि कण्हाणि य ५ कट्ठकम्माणि य जाव संघाइमाणि य अन्नाणि य बहूण चक्खिंदिपाउग्गाणि य दव्वाणि ठवेंति, तेसिं परिपेरतेणं पासए ठवेंति, ठवित्ता णिच्चला णिफंदा तुसिणीया चिट्ठति ।
सूत्र १७ : इसी प्रकार घोड़ों के विचरने के स्थानों पर नेत्रों को आकर्षित करने वाले कृष्ण-नील, लाल, आदि विविध रंगों के सामान सजा दिये, फिर आसपास जाल बिछा दिये और छुपकर बैठ गये ।
17. Similarly they arranged the colourful objects that appealed to eyes in the areas frequented by the horses, fixed snares and waited concealing themselves.
सूत्र १८ : जत्थ जत्थ ते आसा आसयंति वा, सयंति वा, चिट्ठति वा, तुयहंति वा, तत्थ-तत्थ णं ते कोडुंबियपुरिसा तेसिं बहूणं कोट्ठपुडाण य अन्नेसिं च घाणिंदियपाउग्गाणं दव्वाणं पुंजे यणियरे य करेंति, करित्ता तेसिं परिपेरंते जाव चिट्ठति ।
सूत्र १८ : इसी प्रकार उन सेवकों ने घोड़ों के घूमने, बैठने, सोने के स्थानों पर घ्राणेन्द्रिय को आकर्षित करने वाले सुगंधित पुष्प व इत्र आदि सामान के ढेर बनाकर इधर-उधर लगा दिये और छुपकर बैठ गए।
CHAPTER - 17 : THE HORSES
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MARA
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