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________________ ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र ( २५८ ) सूत्र १९६ : पद्मनाभ का उत्तर सुन कपिल वासुदेव बोले - " अरे पद्मनाभ ! अनीच्छित की इच्छा ' करने वाले ! क्या तू नहीं जानता कि तूने मेरे समान उत्तम पुरुष कृष्ण वासुदेव का अनिष्ट किया है ?" और क्रोधित हो उन्होंने पद्मनाभ को देश निकाला दे दिया। पद्मनाभ के पुत्र का अमरकंका के सिंहासन पर राज्याभिषेक कर कपिल वासुदेव लौट गये । 196. Hearing this reply from King Padmanaabh, Kapil Vasudev reprimanded him, “ Padmanaabh! O desirous of the undesired ! Don't you know that you have ill treated Krishna Vasudev, who is a great man like me?" Sizzling with anger, he exiled King Padmanaabh. Kapil Vasudev placed King Padmanaabh's son on the throne of Amarkanka city and returned. 5 पाण्डवों द्वारा कृष्ण बल - परीक्षा सूत्र १९७ : तए णं से कहे वासुदेवे लवणसमुद्दं मज्झंमज्झेणं वीइवयइ, गंगं उवागए, ते पंच पंडवे एवं वयासी - 'गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! गंगामहानदिं उत्तरहं जाव ताव अहं सुट्ठियं देवं लवणाहिवई पासामि ।' तए णं पंच पंडवा कण्हेणं वासुदेवेणं एवं वुत्ता समाणा जेणेव गंगा महानदी व उवागच्छंति उवागच्छित्ता एगट्टियाए णावाए मग्गणगवेसणं करेंति, करित्ता एगट्टियाए नावाए गंगामहानदिं उत्तरंति, उत्तरित्ता अण्णमण्णं एवं वयंति - ' पहू णं देवाणुप्पिया ! कण्हे वासुदेवे गंगामहाणइं वाहाहिं उत्तरित्त ? उदाहु णो पभू उत्तरित्तए?' त्ति कट्टु एगट्टियं नावं णूमेंति, मित्ता कण्हं वासुदेवं पडिवालेमाणा पडिवालेमाणा चिट्ठति । सूत्र १९७ : इधर कृष्ण वासुदेव लवणसमुद्र पारकर गंगा महानदी के निकट आये। वहाँ पहुँचकर उन्होंने पाण्डवों से कहा -" - "देवानुप्रियो ! तुम लोग प्रस्थान करो। जब तक तुम गंगानदी को पार करोगे मैं लवण समुद्र के अधिपति सुस्थित देव से भेंट कर लेता हूँ ।" पाँचों पाण्डव कृष्ण के कथनानुसार गंगा नदी के तट पर पहुँचे और एक नौका की खोजकर उसमें बैठ गंगा के पार पहुँच गये। वहाँ उतरकर उन्होंने परस्पर विचार किया - “देवानुप्रिय ! देखते हैं कि कृष्ण वासुदेव महानदी गंगा को भुजाओं से तैरकर पार करने में समर्थ हैं या नहीं ?” यह विचार कर उन्होंने वह नाव छुपा दी और कृष्ण की प्रतीक्षा करने लगे । PANDVAS TEST KRISHNA 197. In the mean time, Krishna crossed the Lavan sea and arrived near the great Ganges. He said to the Pandavs, "Beloved of gods! You may proceed. While you cross the Ganges I shall meet Susthit god, the care taker of the Lavan sea." ( 258 ) 5 Jain Education International JNĀTĀ DHARMA KATHANGA SUTRA For Private & Personal Use Only 問 www.jainelibrary.org
SR No.007651
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana, Surendra Bothra, Purushottamsingh Sardar
PublisherPadma Prakashan
Publication Year1997
Total Pages467
LanguagePrakrit, English, Hindi
ClassificationBook_English, Book_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, Conduct, & agam_gyatadharmkatha
File Size13 MB
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