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र ( २४६ )
ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र का हीन ! आज तू बचेगा नहीं ! क्या तू नहीं जानता कि तूने कृष्ण वासुदेव की बहन द्रौपदी देवी का डा र हरण कर लिया है ? जो हुआ सो हुआ। अब भी अच्छा होगा कि तू द्रौपदी देवी को कृष्ण वासुदेव । 5 को लौटा दे। अन्यथा युद्ध के लिए तैयार होकर बाहर निकल। पाँचों पाण्डवों सहित कृष्ण वासुदेव 5 द्रौपदी देवी को तुझसे छीन कर ले जाने के लिए अभी-अभी यहाँ पहुँचे हैं।"
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» CHALLENGE TO PADMANAABH र 173. “Beloved of gods! Enter Amarkanka city and go to King 5 Padmanaabh. When you arrive near his throne, kick his leg-rest with your 15 left foot and deliver him this letter with the tip of your spear. After that, with > a frown creasing the skin on your forehead, turn your eyes red, and taking a SI
threatening posture filled with fury, anger, and wrath, give him this warning, 'Hey Padmanaabh! O desirous of the undesired! O storehouse of vices! 0 B virtueless, born on the fourteenth night of the dark half of the month! O
graceless, shameless, and witless fool! You are facing your doom. Don't you 15 know that you have abducted Draupadi, the sister of Krishna Vasudev. ट 5 However, let bygones be bygones. Even now it would be to your benefit if you
return Draupadi to Krishna Vasudev. Otherwise get ready for war and come
out. Krishna Vasudev and the five Pandavs have just arrived here to rescue र Draupadi from your clutches."
सूत्र १७४ : तए णं से दारुए सारही कण्हेणं वासुदेवेणं एवं वुत्ते समाणे हद्वतुढे जाव डा र पडिसुणेइ, पडिसुणेत्ता अमरकंका रायहाणिं अणुपविसइ अणुपविसित्ता जेणेव पउमनाभे तेणेव । 15 उवागच्छइ, उवागच्छित्ता करयल जाव वद्धावेत्ता एवं वयासी-एस णं सामी! मम दा र विणयपडिवत्ती, इमा अन्ना मम सामियस्स समुहाणत्ति' त्ति कट्ट आसुरुत्ते वामपाएणं पायपीढं का 5 अणुक्कमति, अणुक्कमित्ता कोंतग्गेणं लेहं पणामेइ, पणामित्ता जाव कूवं हव्वमागए। 2 सूत्र १७४ : सारथी दारुक ने वासुदेव की आज्ञा प्रसन्नचित्त हो स्वीकार की और अमरकंका, 5 राजधानी में प्रवेश किया। राजा पद्मनाभ के पास पहुँच कर उसने दोनों हाथ जोड़ यथाविधि ट 5 अभिनन्दन किया और कहा-"स्वामिन् ! यह तो मेरी ओर से अपने शिष्टाचार की अभिव्यक्ति थी। र मेरे स्वामी की आज्ञा इससे भिन्न है। वह अब प्रस्तुत करता हूँ।" और उसने वासुदेव कृष्ण की 2 र आज्ञा का अक्षरशः पालन करते हुए क्रोध से लाल नेत्र कर, पादपीठ को बायें पाँव से ठोकर टा 5 मारी, भाले की नोंक से पत्र दिया और वासुदेव के आदेश को दोहरा दिया। R 174. Driver Daruk was pleased to accept the order and he, at once, went a 5 to Amarkanka city. He approached King Padmanaabh, joined his palms in a 5 greeting and said, “Sire! This was my personal courtesy. The instructions of
my master are in variance from this. Now I do as I have been ordered." And
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JNĀTĀ DHARMA KATHÁNGA SÜTRA' Shaannnnnnnnnnn
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