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ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र डा र भरत में अमरकंका नगरी में पद्मनाभ राजा के भवन में द्रौपदी देवी का पता लगा है। अतः पाँचों ट 15 पाण्डवों को चतुरंगिणी सेना सहित प्रयाण करके पूर्व दिशा के लवणसमुद्र तट पर पहुँच कर मेरी डा
र प्रतीक्षा करने की आज्ञा दें।" 5 163. Krishna Vasudev called his emissary and said, “Beloved of gods! go to टा 5 Hastinapur and inform King Pandu—'Beloved of gods! Draupadi has been l
found in the palace of King Padmanaabh in Amarkanka city in the southern half of the eastern Bharat area in the Dhatkikhand continent. As such, you
should order the five Pandavs to march with their four pronged army to the Beastern coast on the Lavan sea and wait for me."
___ सूत्र १६४ : तए णं दूए जाव भणइ-'पडिवालेमाणा चिट्ठह।' ते वि जाव चिट्ठति। र सूत्र १६४ : दूत ने हस्तिनापुर जाकर संदेश कहा और तदनुसार पाँचों पाण्डव अपनी सेना ट 5 सहित समुद्रतट पर पहुँचकर श्रीकृष्ण वासुदेव की प्रतीक्षा करने लगे। 2 164. The emissary went to Hastinapur and delivered the message. 5 Accordingly the five Pandavs arrived with their four pronged army at the a
eastern coast on the Lavan sea and waited for Krishna. कृष्ण का प्रयाण र सूत्र १६५ : तए णं से कण्हे वासुदेवे कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सदावित्ता एवं वयासी-S 5 'गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! सन्नाहियं भेरिं ताडेह।' ते वि तालेति।।
___ सूत्र १६५ : इधर श्रीकृष्ण वासुदेव ने पुनः अपने सेवकों को बुलाकर आज्ञा दी-“देवानुप्रियो ! S र जाकर सामरिक भेरी (युद्ध की भेरी) बजाओ।" सेवकों ने राजाज्ञा का पालन किया।
KRISHNA MARCHES _____165. Krishna Vasudev again called his servants and said, “Beloved of gods! ड Go and sound the war trumpets.” The servants did as told and reported back. $
सूत्र १६६ : तए णं तीसे सण्णाहियाए भेरीए सदं सोच्चा समुद्दविजयपामोक्खा दस दसारा ट जाव छप्पण्णं बलवयसाहस्सीओ सन्नद्धबद्ध जाव गहियाउह-पहरणा अप्पेगइया हयगया जावड र वग्गुरा-परिक्खित्ता जेणेव सभा सुहम्मा, जेणेव कण्हे वासुदेवे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता ?
करयल जाव वद्धावेंति। र सूत्र १६६ : युद्ध की भेरी की ध्वनि सुनकर समुद्रविजय आदि दश दशार सहित सभी छप्पन । 5 हजार बलवान यादव वीर कवच आदि पहन, तैयार हो अपने आयुध व प्रहरणों से सन्नद्ध हो टी 15 हाथी, घोड़े आदि पर सवार हो सुभटों के समूह के साथ कृष्ण वासुदेव की सुधर्मा सभा में आये डा 12 और हाथ जोड़ उनका अभिवादन किया। र ( 242)
JNĀTĀ DHARMA KATHĀNGA SŪTRA Sinnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnn
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