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________________ 卐ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण् र ( २३६ ) ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र था 5 एवं खलु ताओ ! ममं आगासतलगंसि पसुत्तस्स पासाओ दोवई देवी न णज्जइ केणइ देवेण दी रवा, दाणवण किन्नरेण वा, महोरगेण वा गंधव्वेण वा, हिया वा णीया वा, अवक्खित्ता वा? धी 5 इच्छामि णं ताओ ! दोवईए देवीए सव्वओ समंता मग्गण-गवेसणं करित्तए। सूत्र १५१ : उधर द्रौपदी का हरण हो जाने के कुछ समय बाद राजा युधिष्ठिर की नींद ट 15 खुली।। द्रौपदी को अपने आस-पास न देख कर शय्या से उठे और चारों और द्रौपदी की खोज करने लगे। किन्तु कहीं भी उसकी श्रुति (शब्द), क्षुति (छींक) या प्रवृत्ति (सूचना) न मिली तो राजा र पाण्डु के पास जाकर बोले15 “हे तात ! मैं छत पर सो रहा था तब मेरे निकट से द्रौपदी का न जाने किस देव, दानव र गंधर्व आदि (पूर्व सम-सूत्र १४७) ने हरण कर लिया, उठाकर ले गया या खींच कर ले गया। अतः 15 हे तात ! मेरा निवेदन है कि उसकी चारों ओर खोज की जाय।" AUGUJu 15 SEARCH FOR DRAUPADI BY YUDHISHTHIR ____151. Back at Hastinapur, some time after the abduction of Draupadi, S Yudhishthir woke up. When he did not find Draupadi on the bed he got up and looked for her all around. But nowhere did he hear her word, sneezing or 15 sound of any other activity. He went to King Pandu and said - 1 "Father! While we were sleeping on the terrace, some god, demon, (etc.) B appears to have abducted, lifted or pulled and taken away Draupadi from a 15 near me. As such, father! I submit that a search should be called for her." र सूत्र १५२ : तए णं से पंडुराया कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सदावित्ता एवं वयासी-'गच्छह णं 5 तुब्भे देवाणुप्पिया ! हत्थिणाउरे नयरे सिंघाडग-तिय-चउक्क-चच्चर-महापह-पहेसु महया महया द र सद्देणं उग्घोसेमाणा उग्घीसेमाणा एवं वदह-‘एवं खलु देवाणुप्पिया ! जुहिडिल्लस्स रण्णोड 5 आगासतलगंसि सुहपसुत्तस्स पासाओ दोवई देवी न णज्जइ केणइ देवेण वा, दाणवेण वा, ट 5 किंपुरिसेण वा, किन्नरेण वा, महोरगेण वा, गंधव्वेण वा हिया वा निया वा अवक्खित्ता वा? तं ड र जो णं देवाणुप्पिया ! दोवईए देवीए सुई वा खुई वा पवित्तिं वा परिकहेइ तस्स णं पंडुराया ट 15 विउलं अत्थसंपयाणं दलयइ' त्ति कट्ट घोसणं घोसावेह, घोसावित्ता एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह।' 5 तए णं ते कोडुंबियपुरिसा जाव पच्चप्पिणंति। 12 सूत्र १५२ : राजा पाण्डु ने अपने सेवकों को बुलाकर आदेश दिया-“देवानुप्रियो ! हस्तिनापुर में 15 नगर में शृंगाटक चौराहे-तिराहे-राजमार्ग आदि सभी स्थानों पर उच्च स्वर में घोषणा करो कि 'हे ट 5 देवानुप्रियो ! छत पर सोये हुए राजा युधिष्ठिर के पास से द्रौपदी देवी का किसी देव, दानव, गंधर्व ड र आदि ने अपहरण कर लिया है, उठाकर कहीं फेंक दिया है, अतः जो कोई द्रौपदी देवी की श्रुति, था UUUU (236) JNĀTĀ DHARMA KATHANGA SŪTRA HELLA0ALALLAAAAAAAAA LON ) manushamansamasrantiussairathe Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.007651
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana, Surendra Bothra, Purushottamsingh Sardar
PublisherPadma Prakashan
Publication Year1997
Total Pages467
LanguagePrakrit, English, Hindi
ClassificationBook_English, Book_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, Conduct, & agam_gyatadharmkatha
File Size13 MB
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