________________
र( २३२)
ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र डा 5 तए णं पउमनाभस्स रण्णो अट्ठमभत्तंसि परिणममाणंसि पुव्वसंगइओ देवो जाव आगओ। 5 देवं एवं वयासी-‘एवं खलु देवाणुप्पिया ! जम्बूद्दीवे दीवे भारहे वासे हत्थिणाउरे नयरे जाव द र उक्किट्टसरीरा, तं इच्छामि णं देवाणुप्पिया ! दोवइं देविं इहमाणियं।' 5 सूत्र १४३ : राजा पद्मनाभ कच्छुल्ल नारद की यह बात सुन समझ कर द्रौपदी के रूप, यौवन द 5 और लावण्य पर मुग्ध, आसक्त, गृद्ध और आग्रहवान (पाने के लिए उतावला) हो गया। वह ड र पौषधशाला में गया और अपने मित्रदेव का आह्वान कर तीन दिन के उपवास का संकल्प लेकर ड र ध्यान मग्न हो गया। र देव के उपस्थित होने पर उसने कहा-“देवानुप्रिय ! जम्बूद्वीप में भारतवर्ष में हस्तिनापुर नगर ड र में पाँच पाण्डवों की अत्यन्त सुन्दरी द्रौपदी देवी रानी है। मेरी इच्छा है कि द्रौपदी देवी को यहाँ 5 लाया जाय।"
INFATUATION OF PADMANAABH ___143. Hearing and understanding all what Narad told him, King SI Padmanaabh got allured, captivated, and enticed by the beauty, youth, and charm of Draupadi and was driven to possess her. He went to the Paushadh
shala (the abode of ascetics and place of meditation) and taking a vow of a 5 three day fast sat in meditation in order to invoke a friendly god. ____When the friendly god materialized, he said, “Beloved of gods! In Hastinapur in the Bharat area of the Jambu continent, lives Draupadi, the 9 extremely beautiful queen of the five Pandavs. I desire that she be brought
here." 5 सूत्र १४४ : तए णं से पुव्वसंगतिए देवे पउमनाभं एवं वयासी-'नो खलु देवाणुप्पिया ! एवं डा र भूयं, भव्वं वा, भविस्सं वा, जं णं दोवई देवी पंच पंडवे मोत्तूण अन्नेण पुरिसेणं सद्धिं ओरालाइंटे 5 जाव विहरिस्सइ। तहावि य णं अहं तव पियट्ठयाए दोवइं देविं इहं हव्वमाणेमि' त्ति कट्ट ट २ पउमणाभं आपुच्छइ, आपुच्छित्ता ताए उक्किट्ठाए जाव देवगईए लवणसमुदं मज्झमज्झेणं जेणेव र हत्थिणाउरे णयरे तेणेव पहारेत्थ गमणाए। 5 सूत्र १४४ : उस मित्र देव ने पद्मनाभ से ऐसा कहा-“देवानुप्रिय ! भूत, वर्तमान या भविष्य में ड र यह असम्भव और अशक्य है कि द्रौपदी देवी पाँच पाण्डवों को छोड़ दूसरे किसी पुरुष के साथ ड र पत्नी रूप में रहेगी, फिर भी मैं तुम्हारा मन रखने के लिए द्रौपदी को तत्काल यहाँ ले आता हूँ।" टै 5 ऐसा कहकर उस देव ने उत्कृष्ट देव-गति से लवण समुद्र के बीच होते हुए हस्तिनापुर जाने के लिए र प्रस्थान किया। 5 144. The friendly god replied, “It is improbable and impossible in all the e 5three segments of time (past, present, and future) that Draupadi leaves the c 15 (232)
JNĀTĀ DHARMA KATHĀNGA SÜTRA 卐nnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnn)
GOOOOOOOODUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUN
ज्ज्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org