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णवमं अज्झयणं : मायंदी नवम अध्ययन : माकन्दी
NINTH CHAPTER : MAYANDI - MAKANDI
सूत्र १ : जइ णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं अट्ठमस्स णायज्झयणस्स अयमट्ठे पण्णत्ते, नवमस्स णं भंते ! णायज्झयणस्स समणेणं के अट्ठे पण्णत्ते ?
सूत्र १ : जम्बू स्वामी ने पूछा - "भंते ! श्रमण भगवान महावीर ने सूत्र के आठवें ज्ञाता अध्ययन का जो यह अर्थ बताया है वह मैंने सुना, कृपया बतायें उन्होंने नवम अध्ययन का क्या अर्थ कहा है ?
1. Jambu Swami inquired, “Bhante! I have grasped the meaning of the eighth chapter of the Jnata as explained by Shraman Bhagavan Mahavir. Now please tell me what is the meaning of the ninth chapter according to him."
सूत्र २ : एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा नामं नयरी होत्था । तीसे णं चंपाए नयरी कोणि नामं राया होत्था ।
तत्थं णं चंपाए नयरीए बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए पुण्णभद्दे नामं चेइए होत्था ।
सूत्र २ : सुधर्मा स्वामी ने उत्तर दिया - हे जम्बू ! उस काल के उस भाग में चम्पा नाम की एक नगरी थी । वहाँ कुणिक नाम के राजा राज्य करते थे ।
चम्पानगरी के बाहर उत्तरपूर्व दिशा में पूर्णभद्र नामक एक चैत्य था ।
2. Sudharma Swami said - Jambu ! During that period of time there was
a city named Champa. It was under the reign of a king named Kunik.
In the north eastern direction of Champa there was a garden named Purnabhadra.
सूत्र ३ : तत्थ णं माकंदी नामं सत्थवाहे परिवसइ, अड्ढे । तस्स णं भद्दा नामं भारिया होत्था । तीसे णं भद्दा भारियाए अत्तया दुवे सत्थवाहदारया होत्था । तं जहा - जिणपालिए य जिणरक्खि य । तए णं तेसिं मागंदियदारगाणं अण्णया कयाइ एगयओ इमेयारूवे मिहो कहासमुल्लावे समुपज्जित्था
CHAPTER - 9 : MAKANDI
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