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UUUUUUDDDDDDDDDDDDDDDDD क सोलहवाँ अध्ययन : अमरकंका
( १८३ ) डा 15 तए णं ते कोडुबियपुरिसा जिणदत्तेणं सत्थवाहेणं एवं वुत्ता समाणा हट्टतुट्ठा करयल जाव द
र एवं वयासी-एस णं देवाणुप्पिया ! सागरदत्तस्स सत्थवाहस्स धूया भद्दाए अत्तया सूमालिया 15 नामं दारिया सुकुमालपाणिपाया जाव उक्किट्ठा।' 12 सूत्र ३५. उस समय जिनदत्त ने सुकुमालिका को देखा और उसके रूप, यौवन और लावण्य । 5 को देखकर आश्चर्यचकित रह गया। उसने अपने सेवकों को बुलाकर पूछा-“देवानुप्रियो ! वह दे
किसकी लड़की है और क्या नाम है उसका? र सेवकों ने प्रसन्नचित्त हो हाथ जोड़ उत्तर दिया-“देवानुप्रिय ! यह सार्थवाह सागरदत्त की पुत्री 5 और भद्रा की आत्मजा सुकुमालिका है। यह सुकुमार, सुन्दर तथा उत्कृष्ट शरीर वाली है। 5 MARRIAGE PROPOSAL B 35. Jindatt was astonished seeing her beauty, youth, charm, and figure.
He called his servants and asked, “Beloved of gods! Whose daughter is she? and what is her name?"
The servants happily replied, "Sire! She is the daughter of merchant Sagardatt and his wife Bhadra and her name is Sukumalika. She is 15 extremely beautiful (etc.).”
र सूत्र ३६ : तए णं से जिणदत्ते सत्थवाहे तेसिं कोडुबियाणं अंतिए एयमढे सोच्चा जेणेव टा 15 सए गिहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पहाए जाव मित्तनाइपरिवुडे चंपाए नयरीए डी
२ मझमझेणं जेणेव सागरदत्तस्स गिहे तेणेव उवागच्छइ। तए णं सागरदत्ते सत्थवाहे जिणदत्तंड 5 सत्थवाहं एज्जमाणं पासइ, एज्जमाणं पासइत्ता आसणाओ अब्भुढेइ, अब्भुट्टित्ता आसणेणं टा र उवणिमंतेइ, उवणिमंतित्ता आसत्थं वीसत्थं सुहासणवरगयं एवं वयासी-'भण देवाणुप्पिया ! SI र किमागमणपओयणं ?' र सूत्र ३६ : सेवकों का उत्तर सुनकर जिनदत्त अपने घर लौट आया। स्नानादि कर मित्रों वड र स्वजनों को साथ लेकर चम्पानगरी के बीच होता हुआ सागरदत्त के घर आया। उसे आता देख, ट 15 सागरदत्त अपने आसन से उठा और अभिवादन कर जिनदत्त को आसन पर बैठने को कहा। जब ८
र जिनदत्त आराम से बैठ गया तब सागरदत्त ने पूछा-“देवानुप्रिय ! कहिये कैसे आना हुआ?" 5 36. After this Jindatt returned home. He got ready after his bath and I
along with his relatives and friends went to the residence of Sagardatt. When 5 he saw them coming, Sagardatt got up from his seat, greeted them and SI
offered them seats. When the guests took their seats and made themselves
comfortable Sagardatt asked, “Beloved of gods! Tell me what brings you 5 here?” B CHAPTER-16 : AMARKANKA
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