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UDDDDDDDDDDDDजक र सोलहवाँ अध्ययन : अमरकंका
( १७९ ) SIL 15 पहने, हाथों में सिकोरे और हांडी के ठीकरे लिए, सर पर विखरे बाल लिए और अपने पीछे और ड 12 ऊपर भनभनाती मक्खियों का झुण्ड लिए वह नागश्री घर से बाहर फेंके टुकड़ों से पेट पालती । 5 भटकने लगी।
25. Exiled from home, Naagshri drifted to various crossings, trisections, र squares, platforms, roads, etc. and everywhere all people denounced, ] 5 deplored, criticized, censured, condemned, hurt, and cursed her; they also ट spit on her. They rejected her to the extent that she found no place to live or < even stay. At last, dressed in rags (made by stitching together small pieces of
ware in her hands, and flies hovering over her, she drifted from one place to another living on leftovers thrown 15 outside houses.
र सूत्र २६ : तए णं तीसे नागसिरीए माहणीए तब्भवंसि चेव सोलस रोगायंका पाउब्भूया, तं 5 15 जहा-सासे कासे जोणिसूले जाव कोढे। तए णं नागसिरी माहणी सोलसेहिं रोगायंकेहिं अभिभूया द
र समाणी अट्ठदुहट्टवसट्टा कालमासे कालं किच्चा छट्ठीए पुढवीए उक्कोसेणं बावीससागरोवमठिइएसुड 5 नरएसु नेरइयत्ताए उववन्ना। र सूत्र २६ : ब्राह्मणी नागश्री को कालान्तर में उसी जीवन में श्वांस, कास, योनिशूल, कुष्ट आदि 5 सोलह रोगातंक उत्पन्न हुए। इन रोगों की पीड़ा से दुखित हो आर्त-रौद्र ध्यान करती हुई वह मृत्यु टा र को प्राप्त हुई और फिर छठे नरक में उत्पन्न हुई। इस नरक में जन्मे नारक जीवों की उत्कृष्ट आयु ड र बाईस सागरोपम होती है। 15 26. In due course she became the abode of the sixteen diseases including Pasthma, bronchitis, and leprosy (as detailed in ch. 12 para 21). Suffering
from these diseases she died. At the moment of her death her attitude was
depressed and angry. She reincarnated in the sixth hell. The maximum life 15 span in this hell is twenty two Sagaropam.
नरक यातना
__ सूत्र २७ : सा णं तओऽणंतरं उव्वट्टित्ता मच्छेसु उव्वन्ना, तत्थ णं सत्थवज्झा दाहवकंतीए टा 15 कालमासे कालं किच्चा अहे सत्तमीए पुढवीए उक्कोसाए तित्तीससागरोवमठिइएसु नेरइएसुद
र उववन्ना। 15 सूत्र २७ : तत्पश्चात् इस छठे नरक का जीवन पूर्ण कर वह मत्स्य योनि में उत्पन्न हुई। वहाँ डा
र शस्त्र से उसका वध हुआ और शरीर में दाह उत्पन्न होने से मृत्यु प्राप्त कर सातवें नरक में उत्पन्न । 15 हुई। इस नरक में जन्मे नारक जीवों की उत्कृष्ट आयु तेतीस सागरोपम होती है।
APTER-16 : AMARKANKA
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