________________
P( १५४ )
ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र 15 सूत्र १0 : धन्य सार्थवाह ने पुनः गाड़ियाँ जुतवाईं और यात्रा करता हुआ नंदीफल वृक्षों के
र क्षेत्र में पहुँचा। उसने उन वृक्षों से कुछ दूर पड़ाव डाला और सेवकों को बुलाकर दो-तीन बार यह र घोषणा करने को कहा-“हे देवानुप्रियो ! ये ही वे नंदीफल वृक्ष हैं जिनके विषय में पहले बताया 2 15 था। (सू. ९ के समान) अतः इनके किसी भी अंग मूल-फल बीज आदि का सेवन मत करना 5 क्योंकि वह अकाल मृत्यु देने वाला है। कहीं ऐसा न हो कि इनका सेवन कर जीवन का नाश कर
लो इसलिए इनसे दूर रहकर ही विश्राम करना। हाँ ! अन्य वृक्षों की छाया में विश्राम कर सकते 5 हो, उनका सेवन भी कर सकते हो।' र सेवकों ने इसी प्रकार घोषणा कर उसे सूचित किया। 5 10. Dhanya merchant broke camp and resumed the journey. After some s 5 time he reached the area of the Nandiphal trees. He made camp a little si
distance from these trees and again called his servants. He asked them to
announce emphatically-"Beloved of gods! These are the Nandiphal trees Babout which you were told. As such no one should eat the stock, root, or any
other part of these trees or even sit in their shade lest he lose his life. You can eat the stock, root, or any other part of any other tree or even sit in its shade.” The servants made the announcement and reported back.
LULIL
5 श्रद्धावान : अश्रद्धावान र सूत्र ११ : तत्थं णं अत्थेगइया पुरिसा धन्नस्स सत्थवाहस्स एयमटुं सद्दहति, पत्तियंति टी 15 रोयंति, एयमद्वं सद्दहमाणा तेसिं नंदिफलाणं दूरं दूरेणं परिहरमाणा अन्नसिं रुक्खाणं मूलाणि य डा
र जाव वीसमंति तेसि णं आवाए नो भद्दए भवइ, तओ पच्छा परिणममाणा सुहरूवत्ताए भुज्जो टा 15 भुज्जो परिणमंति।
र सूत्र ११ : सार्थ के कुछ व्यक्तियों को धन्य सार्थवाह की बात पर श्रद्धा, प्रतीति (विश्वास) व ट्र र रुचि, (दिलचस्पी) हुई। वे तदनुसार उन नंदीफलों से दूर ही रहते हुए अन्य वृक्षों के मूलादि का दा 15 सेवन करने और उनकी छाया में ही विश्राम करने लगे। उन्हें तात्कालिक आनन्द तो प्राप्त नहीं है र हुआ, परन्तु जैसे-जैसे समय बीतता गया, वैसे वैसे उन्हें सुख, तृप्ति व आनन्द का अनुभव होता टा 5 गया। 5 BELIEVERS : NON-BELIEVERS र 11. Some of the members of the caravan had faith, confidence, and interest S1 2 in what Dhanya merchant had conveyed to them. Accordingly they kept Z away from those trees; they ate fruits etc. from, and rested in the shade of 5 other trees. They did not have much enjoyment in the beginning but as time a 15 passed they experienced pleasure, contentment and joy. 6 (154)
JNĀTĀ DHARMA KATHĀNGA SÜTRA AnnnnnnnnnnAAAAAAAAAAAAAAAnnnnnn)
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org