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र चौदहवाँ अध्ययन : तेतलिपुत्र
(१३५ ) डा 15 सूत्र ४१ : तए णं तेयलिपुत्तं जे जहा ईसर जाव पासंति ते तहा नो आढायंति, नो दी
र परियाणंति, नो अब्भुटुंति, नो अंजलिपरिग्गरं करेंति, इटाहिं जाव णो संलवंति, नो पुरओ या 15 पिट्ठओ य पासओ य मग्गओ य समणुगच्छति। र तए णं तेयलिपुत्ते जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ। जा वि य से बाहिरिया परिसा भवइ, दी
तं जहा-दासे इ वा, पेसे इ वा, भाइल्लए इ वा, सा वि य णं नो आढाइ, नो परियाणाइ, नो डा र अब्भुट्टेइ। जा वि य से अभिंतरिया परिसा भवइ, तं जहा-पिया इ वा माया इ वा जाव भाया था 15 इ वा भगिणी इ वा भज्जा इ वा पुत्ता इ वा धूया इ वा सुण्हा इ वा, सा वि य णं नो आढाइ, डा
र नो परियाणाइ, नो अब्भुट्टेइ। 15 सूत्र ४१ : मार्ग में जाते हुए अनेक प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने तेतलिपुत्र को देखा पर उन्होंने डा
र अमात्य का आदर नहीं किया, जैसे उन्हें पहचाना नहीं, न खड़े हुए, न हाथ जोड़े और न ही मधुर डी 15 वाणी में अभिवादन किया। वे उनके साथ-साथ उनके आगे-पीछे भी नहीं चले। 2 तेतलिपुत्र अपने घर पहुंचे। वहाँ भी बाहर की बैठक में रहने वाले दास, प्रेष्य, भागीदार आदि डी र ने भी उनका आदर आदि नहीं किया? इसी प्रकार उनकी भीतरी बैठक में रहने वाले माता, पिता, टी
भाई, बहन, पत्नी, पुत्र, पुत्रवधू आदि ने भी उनका आदर सत्कार नहीं किया। र 41. On the way many kings, princes, and other prominent people sawal 15 Tetaliputra but did not recognize him, pay him due regards, stand and greet al
him with joined palms and sweet and courteous words. None of them joined
him and moved at his front, back or flanks. B Tetaliputra reached his residence. There also, in the outer section his ]
slaves, servants, partners etc. did not greet him with usual regard. He got
the same treatment in the inner section of his house by his parents, brothers, 2 sisters, wife, son, daughter-in-law, and others. 15 आत्मघात का प्रयत्न
सूत्र ४२ : तए णं से तेयलिपुत्ते जेणेव वासघरे, जेणेव सए सयणिज्जे तेणेव उवागच्छइ, टा 15 उवागच्छित्ता सयणिज्जंसि णिसीयइ, णिसीइत्ता एवं वयासी-“एवं खलु अहं सयाओ गिहाओ
र निग्गच्छामि, तं चेव जाव अभिंतरिया परिसा नो आढाइ, नो परियाणाइ, नो अब्भुढेइ, तं सेयं टा 15 खलु मम अप्पाणं जीवियाओ ववरोवित्तए, त्ति कट्ट एवं संपेहेइ, संपेहित्ता तालउडं विसंड
र आसगंसि पक्खिवइ, से य विसे णो संकमइ। र तए णं से तेयलिपुत्ते नीलुप्पल जाव गवल-गुलिय-अयसिकुसुमप्पगासं खुरधारं असिं खधंसि डी र ओहरइ, तत्थ वि य से धारा ओपल्ला। 15 CHAPTER-14 : TETALIPUTRA
(135) टा Finnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnn
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