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चौदहवाँ अध्ययन: तेतलिपुत्र
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सूत्र ३७ : उधर पोट्टिल देव ने तेतलीपुत्र को बारंबार केवली प्रदत्त धर्म का प्रतिबोध दिया किन्तु तेतलिपुत्र को बोध जाग्रत नहीं हुआ । पोट्टिल देव के मन में विचार आया--" राजा कनकध्वज अमात्य का आदर, सत्कार आदि ( पूर्व - सूत्र ३५ के समान) करता है। इसी कारण बार-बार प्रतिबोध देने पर भी लिपुत्र पर कोई प्रभाव नहीं होता । अतः उचित होगा कि कनकध्वज को अमात्य के विरुद्ध कर दिया जाय।" यह विचार आने पर देव ने राजा को तेतलिपुत्र से विमुख कर दिया।
37. Meanwhile the god Pottil descended time after time and preached the word of The Omniscient but Tetaliputra failed to see the light. At last god Pottil decided, "King Kanak-dhvaj gives all due regards and facilities to Tetaliputra (as detailed in para 35). That is the reason that there is hardly any effect of repeated preaching on him. So it is required that Kanak-dhvaj be turned against the minister." And he immediately implemented his idea. राजा की उदासीनता
सूत्र ३८ : तए णं तेयलिपुत्ते कल्लं पहाए जाव पायच्छित्ते आसखंधवरगए बहूहिं पुरिसेहिं संपरिवुडे साओ गिहाओ निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव कणगज्झए राया तेणेव पहारेत्थ गमणाए ।
सूत्र ३८ : दूसरे दिन स्नानादि सभी नित्य कर्मों से निवृत्त हो श्रेष्ठ अश्व पर सवार हो अनेक लोगों से घिरा तेतलिपुत्र अमात्य अपने घर से कनकध्वज राजा के पास जाने के लिए निकला।
KING'S APATHY
38. Next day getting ready after his bath Tetaliputra set out to visit the king. He was riding a horse and was surrounded by many people.
सूत्र ३९ : तए णं तेयलिपुत्तं अमच्चं से जहा बहवे राईसरतलवर जाव पभिइओ पासंति, ते तहेव आढायंति, परिजाणंति अब्भुट्ठेति, अब्भुट्ठित्ता अंजलिपरिग्गहं करेंति, करिता इट्ठाहिं कंताहिं जाव वग्गूहिं आलवेमाणा संलवेमाणा य पुरतो य पिट्टतो पासतो य मग्गतो य समणुगच्छति ।
सूत्र ३९ : राह में जो भी राजा राजकुमारादि प्रतिष्ठित व्यक्ति अमात्य तेतलिपुत्र को देखते वे सदा की भाँति उनका आदर करते और हितैषीजन खड़े हो हाथ जोड़ते और इष्ट, कान्त आदि वचनों से बार-बार अभिवादन करते । ये लोग अमात्य के आगे-पीछे अगल-बगल में साथ-साथ चलने लगे।
39. On the way many kings, princes, and other prominent people met Tetaliputra and, as usual, paid him due regards. His well wishers stood up
CHAPTER-14: TETALIPUTRA
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