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STTTTTTTTTTTTTTTTTTTTTTTTT ( ११६ )
ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र दा र वे लोग स्वर्णकार के घर से निकल अमात्य के घर आए और तेतलिपुत्र से यह सब समाचार 15 कहे। R 8. Mushikardarak replied, “Beloved of gods! By asking the hand of my
daughter the minister has bestowed honour on me and, that is more than enough as dowry." And he sent them away after offering them food and honouring them with flowers, apparels, perfumes, garlands, and ornaments.
The messengers returned to Tetaliputra and informed him in details about the acceptance of the proposal.
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र विवाह र सूत्र ९ : तए णं कलाए मूसियारदारए अन्नया कयाइं सोहणंसि तिहि-नक्खत्त-मुहत्तंसि र पोट्टिलं दारियं ण्हायं सव्वालंकारविभूसियं सीयं दुरुहइ, दुरुहित्ता मित्तणाइसंपरिवुडे साओ टा 15 गिहाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता सव्विड्ढीए तेयलिपुरं मझमज्झेणं जेणेव तेयलिपुत्तस्स डा र गिहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पोट्टिलं दारियं तेयलिपुत्तस्स सयमेव भारियत्ताए दलयइ। टी 15 सूत्र ९ : मूषिकारदारक सुनार ने शुभ तिथि और मुहूर्त में अपनी पुत्री पोट्टिला को यथाविधि ड
र तैयार कराया और पालकी में बैठाकर मित्रों और स्वजनों सहित अपने पूरे वैभव से नगर के बीच 15 होता हुआ तेतलिपुत्र के घर पहुँचा। वहाँ स्वयं अपनी पुत्री पोट्टिला का तेतलिपुत्र को कन्यादान कर 15 दिया।
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> THE MARRIAGE
9. On an auspicious date and at an auspicious moment Mushikardarak got his daughter ready and dressed as a bride. Displaying all his wealth and a glory and accompanied by all his friends and relatives, he took her in a
palanquin to the residence of Tetaliputra. There he gave away his daughter 12 to Tetaliputra in marriage. र सूत्र १0 : तए णं तेयलिपुत्ते पोटिलं दारियं भारियत्ताए उवणीयं पासइ, पासित्ता पोट्टिलाए ट र सद्धिं पट्टयं दुरुहइ, दुरुहित्ता सेयापीएहिं कलसेहिं अप्पाणं मज्जावेइ, मज्जावित्ता अग्गिहोमंड र करेइ, करित्ता पोट्टिलाए भारियाए मित्त-णाइ-णियग-सयण-संबंधि-परिजणं विपुलेणं असण-पाण15 खाइम-साइमेणं पुष्फ-गंध-मल्लालंकारेणं सक्कारेइ, सम्माणेइ, सक्कारिता सम्माणित्ता पडिविसज्जेइ। दा र सूत्र १० : तेतलिपुत्र ने पोट्टिला को अपनी पत्नी के रूप में आई देखा और उसके साथ पट्ट । 5 पर बैठा। सोने-चाँदी के कलशों में भरे पानी से स्नान किया और अग्नि में होम किया। तत्पश्चात् टा 15 अपनी पत्नी पोट्टिला के मित्र, स्वजन, सम्बन्धी आदि को भोजनादि से सत्कार सम्मान कर विदा ड र किया (पूर्व सू. ८ के समान)। र (116)
JNĀTĀ DHARMA KATHÄNGA SÚTRA SAnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnn
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