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चौदहवाँ अध्ययन : तेतलिपुत्र
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6. When he returned from the ride Tetaliputra called the members of his staff who worked as messengers and instructed, "Beloved of gods! Go and arrange for my betrothal with Pottila the daughter of Mushikardarak."
The messengers formally joined their palms, humbly and happily accepted the order, and went to the residence of Mushikardarak. The goldsmith was pleased to see them coming, got up from his seat, greeted them and offered them seats. When the messengers took there seats and made themselves comfortable Mushikardarak asked, "Beloved of gods! Tell me what brings you here?"
सूत्र ७ : तए णं ते अब्भिंतरट्ठाणिज्जा पुरिसा कलायस्स मूसियारदारयस्स एवं वयासी"अम्हे णं देवाणुप्पिया ! तव धूयं भद्दाए अत्तयं पोट्टिलं दारियं तेयलिपुत्तस्स भारि यत्ताए वरेमो, तं जइ णं जाणसि देवाणुप्पिया ! जुत्तं वा पत्तं वा सलाहणिज्जं वा सरिसो वा संजोगो, ता दिज्जउ णं पोट्टिला दारिया तेयलिपुत्तस्स, तो भण देवाणुप्पिया ! किं दलामो सुक्कं ?”
सूत्र ७ : अमात्य के सेवकों ने सुनार से कहा - "देवानुप्रिय ! हम आपकी पुत्री पोट्टला का हाथ तेतलिपुत्र के लिए माँगने को आए हैं । देवानुप्रिय ! यदि आप समझते हैं कि यह सम्बन्ध उचित है, प्राप्य तथा वांछित है, प्रशंसनीय है और संयोग योग्य है तो तेतलिपुत्र को पोट्टिला प्रदान करने की अनुमति दें। यदि आपकी अनुमति है तो बतावें कि इसके लिए क्या शुल्क वांछित है ?"
7. The messengers of the minister said, “Beloved of gods ! We have come to ask for the hand of your daughter Pottila in marriage for our master minister Tetaliputra. Beloved of gods! If you feel that the match is seemly, appropriate, desirable, commendable and worth a union, please give your consent to marry Pottila to Tetaliputra. If you agree to our proposal please tell us the desired dowry?"
सूत्र ८ : तए णं कलाए मूसियारदारए ते अब्धिंतरट्ठाणिज्जे पुरिसे एवं वयासी - "एस चेव णं देवाणुप्पिया ! मम सुक्के जं णं तेयलिपुत्ते मम दारियानिमित्तेणं अणुग्गहं करेइ ।” ते अब्भिंतर-ठाणिज्जे पुरिसे विपुलेणं असण- पाण- खाइम - साइमेणं पुप्फ-वत्थ-गंध-मल्लालंकारेण सक्कारेइ सम्माणेइ, सक्कारित्ता संमाणित्ता पडिविसज्जेइ ।
तए णं कलायस्स मूसियारदारगस्स गिहाओ पडिनिक्खमंति, पडिनिक्खमित्ता जेणेव तेयलिपुत्ते अमच्चे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता तेयलिपुत्तं एयमहं निवेयंति ।
सूत्र ८ : मूषिकारदारकं ने उत्तर दिया – “देवानुप्रियो ! तेतलिपुत्र मेरी पुत्री का हाथ माँगकर मुझ पर जो अनुग्रह कर रहे हैं, मेरे लिए वही शुल्क है।" फिर उसने आगन्तुक लोगों का विपुल आहार, पुष्प, वस्त्र, गंध, माला और वस्त्रालंकार से सत्कार-सम्मान किया और उन्हें विदा किया।
CHAPTER-14: TETALIPUTRA
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