________________
चोदसमं अज्झयणं : तेयलिपुत्ते
चौदहवाँ अध्ययन : तेतलिपुत्र U FOURTEENTH CHAPTER : TEYALIPUTTE - TETALIPUTRA
सूत्र १ : जइ णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं तेरसमस्स नायज्झयणस्स अयमढे टा 15 पण्णत्ते, चोद्दसमस्स णायज्झयणस्स समणेणं भगवया महावीरेणं के अढे पन्नत्ते ?
र सूत्र १ : जम्बू स्वामी ने प्रश्न किया-भंते ! जब श्रमण भगवान महावीर ने तेरहवें ज्ञात 15 अध्ययन का पूर्वोक्त अर्थ बताया है, तो चौदहवें ज्ञात अध्ययन का क्या अर्थ कहा है?
र 1. Jambu Swami inquired, “Bhante! What is the meaning of the 15 fourteenth chapter according to Shraman Bhagavan Mahavir?" र सूत्र २ : ‘एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं तेयलिपुरे णामं णयरे होत्था। तस्स णंड र तेयलिपुरस्स बहिया उत्तरपुरथिमे दिसीभाए एत्थ णं पमयवणे णामं उज्जाणे होत्था। 15 तत्थ णं तेयलिपुरे णयरे कणगरहे णामं राया होत्था। तस्स णं कणगरहस्स रण्णो पउमावई ड
र णामं देवी होत्था। तस्स णं कणगरहस्स रण्णो तेयलिपुत्ते णामं अमच्चे होत्था साम-दंड-ट 15 भेय-उवप्पयाण-नीति-सुपउत्त-नयविहिण्णू।
र सूत्र २ : सुधर्मा स्वामी ने उत्तर दिया-हे जम्बू ! काल के उस भाग में तेतलीपुर नाम का एक 15 नगर था। नगर के बाहर उत्तर-पूर्व दिशा में प्रमदवन नाम का एक उद्यान था।
र उस नगर के राजा का नाम कनकरथ था और रानी का नाम पद्मावती देवी। कनकरथ राजा 15 के अमात्य का नाम तेतलिपुत्र था और वह साम, दाम, दण्ड व भेद नीति के प्रयोग में निष्णात था। द > 2. Sudharma Swami replied-Jambu! During that period of time there B was a city named Tetalipur. Outside the city in the north-eastern direction 5 there was a garden named Pramadvan. 15 The name of the king of that city was Kanak-rath and that of the queen I was Padmavati. The king had a minister named Tetaliputra who was an
expert in all the four branches of political strategy-conciliation, graft B punishment, and clandestine activity. 15 सूत्र ३ : तत्थ णं तेयलिपुरे कलादे नाम मूसियारदारए होत्था, अड्ढे जाव अपरिभूए। तस्स डा
र णं भद्दा नामं भारिया होत्था। तस्स णं कलायस्स मूसियारदारयस्स धूया भद्दाए अत्तया पोट्टिला । र नाम दारिया होत्था, रूवेण य जोव्वणेण य लावण्णेण य उक्किट्ठा उक्किट्ठसरीरा। र (112)
JNĀTĀ DHARMA KATHĀNGA SŪTRA
-
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org