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ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र डा
THE MESSAGE
A virtuous one, too, loses virtues in the absence of continued interaction 5 with accomplished ascetics, in same way that the being that was Nand d 15 Manikaar was born a frog. (1) 12 The being who proceeds to pay homage to the Tirthankar attains Moksha
due to the depth of his devotion (whether or not he is actually able to behold
the Lord), in same way that the frog was born a god because of the intensity 15 of his feeling of devotion only. (2)
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परिशिष्ट
र अणुपविट्ठा-समा गई। दर्दुर देव ने अपनी ऋद्धि का जो प्रदर्शन किया उसके अन्तर्गत अपनी दैविक शक्ति से ये 15 अनेक नर्तकों, नर्तकियों, वादकों आदि को प्रकट करना भी सम्मिलित है। प्रदर्शन समाप्त होते ही ये सभी अनायास टा 15 ही अदृश्य हो जाते हैं अतः सामान्य व्यक्ति को लगता है कि वे सभी कहीं समा गये हैं। जिसे समझाने के लिए
र कूटागार का दृष्टान्त दिया है। 15 कूटागार-एक ग्राम में एक पर्वताकार विशाल भवन था। वह बहुत दृढ़ व सुरक्षित था तथा उसकी संरचना टा 5 ऐसी थी कि भीतर सभी सुविधायें होते हुए भी बाहर से यह जान पाना असम्भव था कि उसके भीतर कौन है- S| र क्या है। उसके भीतर प्रवेश पाना या उसकी थाह पाना कठिन था। एक बार जब एक प्रचण्ड तूफान आया तो र सुरक्षा हेतु गाँव के सभी लोग उसमें प्रवेश कर गये। उस समय वह क्षेत्र ऐसा हो गया मानो जनशून्य क्षेत्र में कोई 15 पर्वत खड़ा हो। इसी प्रकार देव की प्रकट प्रद्धि उसके शरीर में यों समा गई जैसे उस कूटागार में ग्राम का दी 15 जनसमूह।
र रोगातंक-आतंक स्वरूप रोग या तीव्र वेदनादायक रोग जिनका उपचार कठिन साध्य हो। यहाँ सोलह रोगों 15 का नाम दिया है। इसी प्रकार अन्य अंग शास्त्रों में भी रोगों की सूची उपलब्ध है। आचारांग सूत्र में भी 15 सोलह रोगों की सूची है-कण्ठमाल, कुष्ट, क्षय, अपस्मार, अक्षी रोग, जड़ता, हीनांगता, कुबड़ापन, उदर रोग,
र गंजापन, शरीर-शून्यता, भस्मक रोग, रीढ़ की बांद, श्लीपद तथा मधुमेह। ज्ञातासूत्र की तुलना में यह सूची र अधिक प्रामाणिक लगती है क्योंकि उसमें कुछ रोग विभिन्न नाम से दो बार आ गये हैं तथा कुछ रोग सामान्य
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15 रोग हैं।
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JNĀTĀ DHARMA KATHĀNGA SŪTRA FAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAA)
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