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प्रज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज 12 ( १०४ )
ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र डा 15 FROG MOVES TO PAY HOMAGE 12 29. When the frog heard about this from many a people it thought, S
contemplated, desired and resolved, "Shraman Bhagavan Mahavir has 15 arrived in the town. I should also go and pay my homage.” It slowly came out 15 of the Nanda pool, reached the highway, and moved in leaps and bounds in C
5 the direction of my camp. 15 सूत्र ३0 : इमं च णं सेणिए राया भंभसारे ण्हाए कायकोउय जाव सव्वालंकारविभूसिए द
र हत्थिखंधवरगए सकोरंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं सेयवरचामरेहि य उद्धव्यमाणेहि र महया हय-गय-रह-भड-चडगर-कलियाए चाउरंगिणीए सेणाए सद्धिं संपरिवुडे मम पायदए दे 15 हव्यमागच्छइ। तए णं से ददुरे सेणियस्स रण्णो एगेणं आसकिसोरएणं वामपाएणं अकंते र समाणे अंतनिग्घाइए कए यावि होत्था। र सूत्र ३0 : इधर राजा (भंभासार बिम्बसार) श्रेणिक स्नानादि कृत्यों से निवृत्त हो वस्त्रालंकारों ड र से विभूषित हुआ और श्रेष्ठ हाथी पर सवार हुआ। कोरंट के फूलों की माला वाले छत्र तथा सफेद ट] 15 चामरों से शोभित हो घोड़े, हाथी, रथ और महारथियों सहित अपनी चतुरंगिणी सेना से घिरा वह द
र मेरी चरण-वन्दना हेतु शीघ्रता से चला आ रहा था। तब वह मेंढक श्रेणिक राजा के एक तरुण S 15 चंचल घोड़े की बाईं टाँग से कुचला गया और उसकी आँतें बाहर निकल आईं। र 30. On the other side, King Shrenik Bimbasar got ready after his bath etc. S
and rode his best elephant. Surrounded by his four pronged army of
elephants, horses, chariots and foot soldiers and with all his regalia he was 15 also coming for my obeisance at a fast speed on the same highway. It so > happened that the little frog was trampled under the hoof of a horse of the 12 kings guards and its entrails came out. 15 सूत्र ३१ : तए णं से दद्दुरे अत्थामे अबले अवीरिए अपुरिसकार-परक्कमे ट
र अधारणिज्जमिति कटु एगंतमवक्कमइ, करयलपरिग्गहियं तिक्खुत्तो सिरसावत्तं मत्थए अंजलिंड 15 कटु एवं वयासी
र नमोऽत्थु णं अरहंताणं भगवंताणं जाव संपत्ताणं, नमोऽत्थु णं समणस्स भगवओ महावीरस्सट 15 मम धम्मायरियस्स जाव संपाविउकामस्स। पुट्विं पि य णं मए समणस्स भगवओ महावीरस्स दा 12 अंतिए थूलए पाणाइवाए पच्चक्खाए, जाव थूलए परिग्गहे पच्चक्खाए, तं इयाणिं पि तस्सेव । 15 अंतिए सव्वं पाणाइवायं पच्चक्खामि, जाव सव्वं परिग्गहं पच्चक्खामि, जावज्जीवं सव्वं असणं टा
र पाणं खाइमं साइमं पच्चक्खामि जावज्जीवं जं पि य इमं सरीरं इ8 कंतं जाव मा, फुसंतु एवं हा 5 पिणं चरिमेहिं ऊसासेहिं 'वोसिरामि' त्ति कट्ट। 15 (104)
JNĀTĀ DHARMA KATHĂNGA SÜTRA I 卐nnnnnnnnnnnnnnnnnnnnAAAAAAAAAAAA
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