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भण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्य
(७३)
क बारहवाँ अध्ययन : उदक ज्ञात र इस प्रकार सात सप्ताह के बाद वह खाई का गंदला पानी उदकरत्न (श्रेष्ठ जल) बन गया। वह दी र स्वच्छ, पथ्य, जात्य (उत्तम जाति का) और हल्का हो गया। वह स्फटिक मणि जैसा चमकीला, मन , र को भाने वाली सुगन्ध, रस, स्पर्श और स्वादयुक्त हो गया। सभी इन्द्रियों तथा देह को आनन्द देने । 15 वाला हो गया।
2 16. This process of filtering and adding ash was repeated again and again. 2 5 After seven weeks the foul water turned pure. It became clean, potable, of 15 good quality, and light. It became crystal clear, and likeable in taste, touch S
and smell. It became satisfying and pleasant to the body and the senses. Si 5 सूत्र १७ : तए णं सुबुद्धी अमच्चे जेणेव से उदयरयणे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता द] र करयलंसि आसाएइ, आसाइत्ता तं उदयरयणं वण्णेणं उववेयं, गंधेणं उववेयं, रसेणं उववेयं, B फासेणं उववेयं, आसायणिज्जं जाव सव्विंदियगायपल्हायणिज्जं जाणित्ता हट्टतुढे बहूहिंद र उदगसंभारणिज्जेहिं दव्वेहिं संभारेइ, संभारित्ता जियसत्तुस्स रण्णो पाणियघरियं सद्दावेइ, ड
सद्दावित्ता एवं वयासी-'तुमं च णं देवाणुप्पिया ! इमं उदगरयणं गेण्हाहि, गेण्हित्ता जियसत्तुस्स
रण्णो भोयणवेलाए उवणेज्जासि। र सूत्र १७ : तब सुबुद्धि अमात्य ने उस स्वच्छ जल के पास जा उसे हथेली में लेकर चखा। उसे 15 मनोज्ञ वर्ण, गंध, रस आदि से युक्त पीने योग्य और शरीर व इन्द्रियों को सुखकारी जानकर प्रसन्न र और संतुष्ट हुआ। फिर उसने उस जल को और स्वादिष्ट बनाने वाले द्रव्यों से उसे अधिक र स्वादिष्ट और सुगंधित बनाया। राजा जितशत्रु के जल-गृह के कर्मचारी को बुलवाकर उससे कहा15 “देवानुप्रिय ! तुम यह श्रेष्ठ जल ले जाओ और भोजन करते समय राजा जितशत्रु को पीने के डा
रे लिए देना।" 15 17. Minister Subuddhi went near the pitchers, took a handful of water
and tasted it. He was contented to find it appealing to the senses, potable, and satisfying and pleasant to the body and the senses. He than got some additives mixed in that water to make it more tasty and fragrant. After all this, he called the caretaker of the king's water-shed and instructed, "Beloved
of gods! Take this refined water and when the king takes his meals serve him 5 some of this water." र राजा का आश्चर्य
सूत्र १८. तए णं से पाणियघरए सुबुद्धिस्स एयमढे पडिसुणेइ पडिसुणित्ता तं उदयरयणं । 15 गिण्हाइ, गिण्हित्ता जियसत्तुस्स रण्णो भोयणवेलाए उवढेवेइ।
तए णं से जियसत्तू राया तं विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं आसाएमाणे जाव विहरइ।
תתתתת
15 CHAPTER-12 : THE WATER
(73) टा Ennnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnn)
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