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ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र
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सूत्र ५५. तए णं सा धारिणी देवी सेणिए णं रण्णा हत्थिखंधवरगए णं पिट्ठतो पिट्ठतो समणुगम्म-माणमरगा, हय-गय-रह-जोह-कलियाए चाउरंगिणीए सेणाए सद्धिं संपरिवुडा महया भड-चडगर-वंदपरिक्खित्ता सव्विड्ढीए सव्वजुईए जाव दुंदुभिनिग्घोसनादितरवेणं रायगिहे नगरे सिंघाडग-तिग-चउक्क-चच्चर जाव महापहपहेसु नागरजणेणं अभिनंदिज्जमाणा अभिनंदिज्जमाणा जेणामेव वेभारगिरिपव्यए तेणामेव उवागच्छइ। उवागच्छित्ता वेभारगिरिकडगतडपायमूले आरामेसु य उज्जाणेसु य, काणणेसु य, वणेसु य, वणसंडेसु य, रुक्खेसु य, गुच्छेसु य, गुम्मेसु य, लयासु य, वल्लीसु य, कंदरासु य, दरीसु य, चुंढीसु य, दहेसु य, कच्छेसु य, नदीसु य, संगमेस य, विवरएसु य, अच्छमाणी य, पेच्छमाणी य, मज्जमाणी य, पत्ताणि य, पुष्पाणि य, फलाणि य, पल्लवाणि य, गिण्हमाणी य, माणेमाणी य, अग्घायमाणी य, परिभुंजमाणी य, परिभाएमाणी य, वेभारगिरिपायमूले दोहलं विणेमाणी सव्वओ समंता आहिंडति। तए णं धारिणी देवी विणीतदोहला संपुन्नदोहला संपन्नदोहला जाया यावि होत्था।
सूत्र- ५५. रानी और राजा चारों ओर अश्व, हाथी आदि चतुरंगिनी सेना और महान योद्धाओं के समूह से घिरे हुए थे। वे अपने सम्पूर्ण राजवैभव तथा समृद्धि के साथ राजगृह नगर के शृंगारकों आदि (पूर्व सम) से होकर राज मार्ग से गुजरे। राजगृह के नागरिकों ने उनका बारंबार अभिनन्दन किया। अन्त में उनकी सवारी वैभारगिरि पर्वत के तले आ पहुँची। धारिणी देवी राजा सहित कटक तट में उतरीं और फिर वैभारगिरि की तलहटी-तराई में रहे विभिन्न क्रीड़ास्थलों में, उद्यानों में, काननों में, वनों में, और वनखण्डों में; वृक्षों, झुरमुटों, झाड़ियों, लताओं आदि के बीच; गुफाओं, गह्वरों, तालाबों, तलैया, हौद आदि जलाशयों के पास; नदियों, नालों, तटों और संगमों के निकट विचरने लगीं। वे इन सबके पास जा खड़ी होती, दृश्यों को निहारतीं, स्नान करतीं, पत्तों, फूलों, फलों, कोंपलों आदि को स्नेह से छूती, फूल सूंघती, फल खातीं और दूसरों को बाँटतीं अनेक प्रकार की क्रीड़ा करतीं प्रसन्नचित्त हो अपना अकाल-दोहद पूर्ण व सम्पन्न करने लगीं। __55. The royal couple was surrounded by elephants, horses and groups of great warriors of the four pronged army. With all pomp and show the royal couple passed through various parts of the city of Rajagriha (described earlier). The citizens of Rajagriha greeted them with enthusiasm. At last they arrived at the base of the Vaibharagiri mountain.
Queen Dharini got down from the elephant and with King Shrenik commenced her sojourn in the beautiful valley. She moved about in
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JNĀTA DHARMA KATHĂNGA SŪTRA
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