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ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र
चित्र परिचय
THE ILLUSTRATIONS EXPLAINED
वसन्त ऋतु में देव आराधना
चित्र: २
गर्भ के तीसरे मास में रानी धारिणी को एक विचित्र दोहद ( डोहला ) उत्पन्न हुआ। उस विचि असंभव दोहद की पूर्ति के लिए राजा श्रेणिक चिन्तित हो उठे। अभयकुमार ने इसकी पूर्ति के लिए अपने मित्र देव की सहायता लेने का निर्णय किया। उसने तीन दिन का उपवास (अट्टम तप) करके मित्र देव का आह्वान किया और बताया- मेरी छोटी माता को ऐसा दोहद उत्पन्न हुआ है कि आकाश में काली घटाएँ छायीं हों, बिजलियाँ चमक रही हों, रिमझिम फुहारें बरस रही हों, मोर पिउ-पिउ कर रहे हों, धरती पर चारो तरफ हरियाली छाई हो। ऐसे सुहावने मौसम में मैं राज- हस्ती पर बैठकर वन विहार के लिए निकलूं। मेरे पीछे महाराज श्रेणिक की सवारी चल रही हो । अभयकुमार ने मित्रदेव से प्रार्थना की, आप अपनी दिव्य शक्ति से मेरी छोटी माता की यह मनोकामना पूर्ण करें। देवता ने प्रसन्न होकर उसी प्रकार की अनुकूल ऋतु की सर्जना करने का आश्वासन दिया।
( अध्ययन १ )
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INVOKING THE GOD DURING SPRING SEASON
ILLUSTRATION : 2
During the third month of her pregnancy Queen Dharini had a strange Dohad (pregnancy desire). Not being able to fulfill this desire, King Shrenik became gloomy. Abhay Kumar decided to seek help from a friendly god. He invoked the god by observing a three day fast and requested him to arrange fulfill his step-mother's Dohad using his divine powers. The desire being--The sky is filled with dark clouds and lightning. Droplets of rain are falling. Peacocks are cooing. Fields all around are lush green with vegetation. In such enchanting weather I go out riding an elephant and enjoy scenic beauty. King Shrenik follows me riding another elephant.
The god is pleased to give assurance to create desired weather conditions.
JNĀTA DHARMA KATHANGA SUTRA
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(CHAPTER-1)
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