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ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र
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तए णं सा धारिणी देवी सेणिए णं रण्णा एवं वुत्ता समाणी णो आढाइ, जाव तुसिणीया संचिट्ठति।
तए णं से सेणिए राया धारिणिं देविं दोच्चं पि तच्चं पि एवं वदासी-“किं णं तुम देवाणुप्पिए ! ओलुग्गा जाव झियायसि ?" __ तए णं सा धारिणी देवी सेणिएणं रण्णा दोच्चं पि तच्चं पि एवं वुत्ता समाणी णो आढाति, णो परिजाणाति, तुसिणीया संचिट्ठइ।
तए णं सेणिए राया धारिणिं देविं सवहसावियं करेइ, करित्ता एवं वयासी-“किं णं तुमं देवाणुप्पिए ! अहमेयस्स अट्ठस्स अणरिहे सवणयाए ? ता णं तुमं ममं अयमेयारूवं मणोमाणसियं दुक्खं रहस्सीकरेसि ?" __सूत्र ३५. दासियों से यह बात सुन-समझकर राजा श्रेणिक बहुत व्याकुल हो उठे। वे बिना देर किये तेज चाल से धारिणी देवी के पास आये और देखा कि वे सच ही उदास
और चिन्तित बैठी आर्तध्यान कर रही हैं। राजा श्रेणिक बोले-“देवानुप्रिये ! आप इतनी उदास और शरीर से दुर्बल तथा आर्तमन से किस चिन्ता में डूबी हुई हैं ?"
धारिणी देवी ने राजा की बात सुनी-अनसुनी कर दी और मौन रहीं। इस पर राजा श्रेणिक ने दो-तीन बार पुनः वही प्रश्न किया परन्तु धारिणी देवी का मौन नहीं टूटा। वह उसी प्रकार उदास बैठी रहीं।
इस पर राजा श्रेणिक ने शपथ दिलाते हुए कहा-“देवानुप्रिये ! क्या मैं तुम्हारे मन की बात सुनने के योग्य नहीं हूँ ? क्या इसीलिये तुम मुझसे अपने मन के दुःख को छुपा रही हो ?"
35. Hearing this news from the maids King Shrenik became disturbed and worried. He immediately rushed to Queen Dharini and saw that she was, in fact, sad and gloomy. The king asked, “O beloved of gods! Why have you become so weak and sad? What is the cause of your gloom?"
Queen Dharini remained silent giving no heed to the inquiry by the king. King Shrenik repeated the question again but in vain. The queen remained silent and sad. Adjuring, the king asked, “O beloved of gods! Am I not fit to be your confidant? Is that why you are not revealing the cause of your sorrow to me?"
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JNĀTĀ DHARMA KATHANGA SŪTRA
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