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प्रथम अध्ययन : उत्क्षिप्त ज्ञात
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respect. He felicitated the scholars by presenting them food, flowers, cloth, incense, garlands, ornaments, etc. He donated these things in sufficient quantity to fulfill their needs for life and, bid them farewell.
सूत्र २८. तए णं से सेणिए राया सीहासणाओ अब्भुढेइ, अब्भुद्वित्ता जेणेव धारिणी देवी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता धारिणिं देविं एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिए ! सुमिणसत्थंसि बायालीसं सुमिणा जाव एगं महासुमिणं जाव भुज्जो भुज्जो अणुवूहइ। ___ सूत्र २८. श्रेणिक राजा तब सिंहासन पर से उठे, धारिणी देवी के निकट गए और बोले-“हे देवानुप्रिये ! स्वप्नशास्त्र में बयालीस स्वप्न और तीस महास्वप्न बताये गये हैं। आपने उनमें से एक महास्वप्न देखा है.' इस प्रकार उन्होंने स्वप्न-पाठकों द्वारा बतायी बातें कहीं और बार-बार उनका अनुमोदन किया।
28. After this, King Shrenik got up from his throne, approached Queen Dharini and said, “O beloved of gods! Of the forty two common and thirty great dreams described in the scriptures about dreams, you have seen one of the great dreams..." he repeated the words of the dream diviners and affirmed again and again.
सूत्र २९. तए णं धारिणी देवी सेणियस्स रन्नो अंतिए एयमढे सोच्चा णिसम्म हट्ठ जाव हियया तं सुमिणं सम्म पडिच्छई। पडिच्छित्ता जेणेव सए वासघरे तेणेव उवागच्छइ। उवागच्छित्ता ण्हाया कायबलिकम्मा जाव विपुलाहिं जाव विहरइ।
सूत्र २९. धारिणी देवी राजा श्रेणिक की बातें सुन-समझकर हर्ष विभोर हो उठीं। उन्होंने उस स्वप्न को हितकारक रूप में स्वीकार किया और अपने महल में आईं। स्नानादि कर मांगलिक अनुष्ठान किये और सुख-शांति से समय व्यतीत करने लगीं।
29. Hearing and understanding the statement of King Shrenik, the queen effused with joy. She accepted the dream as beneficial and returned to her chamber. She took her bath and performed various auspicious rituals. She lived in peace and happiness thereafter. धारिणी का दोहद
सूत्र ३0. तए णं तीसे धारिणीए देवीए दोसु मासेसु वीइक्वतेसु तइए मासे वट्टमाणे तस्स गब्भस्स दोहलकालसमयंसि अयमेयारूवे अकालमेहेसु दोहले पाउब्भवित्था
सूत्र ३0. इस घटना के बाद तीसरे महीने में जब गर्भवती माता का दोहद काल होता है, धारिणी देवी को अकाल-मेघ का दोहद उत्पन्न हुआ। उसका वर्णन इस प्रकार है
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CHAPTER-1: UTKSHIPTA JNATA
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