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सातवाँ अध्ययन : रोहिणी ज्ञात
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"Beloved of gods! Take these five grains of rice. When the monsoon season starts and there is plenty of rain, sow these in a small and clean furrow. At right time replant the sprouts. Raise a protective fence around the plot. This way let them grow, providing all care and protection."
सूत्र ८. तए णं ते कोडुबिया रोहिणीए एयमढे पडिसुणेति, पडिसुणित्ता ते पंच सालिअखए गेण्हंति, गेण्हित्ता अणुपुव्वेणं संरक्खंति, संगोवंति विहरति। ___ तए णं ते कोडुबिया पढमपाउसंसि महावुडिकायंसि णिवइयंसि समाणंसि खुड्डायं केयारं सुपरिकम्मियं करेंति, करित्ता ते पंच सालिअक्खए वयंति, ववित्ता दोच्चं पि तच्चं पि उक्खयनिक्खए करेंति, करित्ता वाडिपरिक्खेवं करेंति, करित्ता अणुपुव्वेणं सारक्खेमाणा संगोवेमाणा संवड्डेमाणा विहरंति।
सूत्र ८. रोहिणी के पीहर वाले उसके अनुरोध के अनुसार उन पाँच दानों को ले गये और सँभालकर रखा। वर्षा ऋतु के आरम्भ में उन्होंने वे दाने एक क्यारी में बो दिये। समयानुसार पौध को स्थानांतरित किया और बाड़ लगाकर उसकी रक्षा का प्रबन्ध किया।
8. At her request the maternal relatives of Rohini took along the grains and kept them safe. When the monsoon season started they sowed these in a small and clean furrow. At right time they replanted the sprouts and raised a protective fence around the plot.
सूत्र ९. तए णं ते सालिअक्खए अणुपुव्वेणं सारक्खिज्जमाणा संगोविज्जमाणा संवड्डिज्जमाणा साली जाया, किण्हा किण्होभासा जाव निउरंबभूया पासादीया दंसणीया अभिरुवा पडिरूवा।
तए णं ते साली पत्तिया वत्तिया गब्भिया पसूया आगयगंधा खीराइया बद्धफला पक्का परियागया सल्लइया पत्तइया हरियपव्वकंडा जाया यावि होत्था।
तए णं ते कोडुंबिया ते सालीए पत्तिए जाव सल्लइए पत्तइए जाणित्ता तिक्खेहि णवपज्जणएहिं असियएहिं लुणेति। लुणित्ता करयलमलिए करेंति, करित्ता पुणंति, तत्थ णं चोक्खाणं सूयाणं अखंडाणं अफोडियाणं छड्डछड्डापूयाणं सालीणं मागहए पत्थए जाए।
सूत्र ९. समय पर वे चावल के पौधे बढ़ गये और गहरे रंग की कान्ति बिखेरने लगे। पौधों का वह झुण्ड दर्शनीय और प्रसन्नतादायक हो गया। समय के साथ वे पौधे पल्लवित हुए, भरे-भरे दिखने लगे, उनमें मंजरियाँ निकलीं और उनकी सुगन्ध चारों ओर फैलने लगी। मंजरियाँ गर्भित हो गई और तब उनमें अन्न के दाने पनपे और पककर तैयार हो
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CHAPTER-7 : ROHINI JNATA
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