________________
( १४ )
रट्टं य -लद्धपच्चए, विइण्णवियारे, रज्जधुरचिंतए यावि होत्था सेणियस्स रण्णो रज्जं च, य, कोसं च, कोट्ठागारं च बलं च वाहणं च पुरं च, अंतेउरं च, सयमेव समुपेक्खमाणे समुपेक्खमाणे विहरइ ।
सूत्र ११ : श्रेणिक राजा और नंदा रानी के अभयकुमार नाम का एक पुत्र था । अभयकुमार शरीर से परिपूर्ण, गुण सम्पन्न सुन्दर स्वरूप वाले थे। वह राजनीति, व्यवसायनीति तथा न्यायनीति में निष्णात थे और चतुरंग अर्थनीति के ज्ञाता थे। चारों बुद्धियों के धारक अभयकुमार विभिन्न कार्यों तथा विषयों में राजा श्रेणिक के सलाहकार थे। पारिवारिक कार्यों में, मंत्रणा, रहस्यमय तथा गुप्त कार्यों में तथा कोई भी निर्णय करने में राजा श्रेणिक उनसे समय-समय पर सलाह लेते रहते थे। सबके लिये धुरी, आधार और सहारा बनने वाले अभयकुमार स्वयं प्रमाण रूप थे, आधार रूप थे और पथ-प्रदर्शक थे। वे राजा श्रेणिक के राज्य, राष्ट्र, कोष, भंडार, सेना, वाहन, नगर व महल तथा अन्तःपुर, सभी की व्यवस्था देखते थे।
ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र
11. King Shrenik and queen Nanda had a son named Abhay Kumar. He had a perfectly proportioned, highly endowed and beautifully formed body. He was a master of politics, business management, and law. He had also studied all the four branches of economics. Endowed with four types of wisdom, Abhay Kumar was the advisor of King Shrenik in various fields and subjects. King Shrenik used to take his advise from time to time before taking any decision in the matters of family, state, and secrecy. Acting as an axis, base, and support for others Abhay Kumar himself was the embodiment of authenticity, the symbol of support, and the source of path-finding light. On behalf of King Shrenik he managed all the affairs of the state, nation, exchequer, store, defense, transport, town, palace, and family.
Jain Education International
3
सूत्र १२ : तस्स णं सेणियस्स रण्णो धारिणीणामं देवी होत्था सुकुमालपाणि-पाया अहीण पंचिंदियसरीरा सेणिएणं रण्णा सद्धिं विउलाई भोगभोगाई पच्चणुभवमाणी विहरइ ।
सूत्र १२. श्रेणिक राजा के धारिणी नाम की एक और रानी थी जो अत्यन्त रूपवान और गुण सम्पन्न थी।
14)
12. King Shrenik had another highly endowed and beautiful queen whose name was Dharini.
For Private Personal Use Only
JNATA DHARMA KATHANGA SUTRA
Q
www.jainelibrary.org