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ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र
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कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी-“खिप्पामेव सेलगपुरं नयरं आसित्त जाव गंधवट्टिभूयं करेह य कारवेह य, करित्ता कारवित्ता एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह।" __तए णं से मंडुए दोच्चं पि कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सहावित्ता एवं वयासी“खिप्पामेव सेलगस्स रण्णो महत्थं जाव निक्खमणाभिसेयं जहेव मेहस्स तहेव, णवरं पउमावई देवी अग्गकेसे पडिच्छइ। सव्वे वि पडिग्गहं गहाय सीयं दुरूहँति, अवसेसं तहेव, जाव सामाइयमाइयाइं एक्कारस अंगाई अहिज्जइ, अहिज्जित्ता बहूहिं चउत्थ जाव छट्टट्ठम-दसम-दुवालसेहिं मासद्धमासखमणेहिं अप्पाणं भावेमाणे विहरइ।"
सूत्र ५२. तब शैलक ने मंडुक राजा से दीक्षा लेने की आज्ञा माँगी। मंडुक राजा ने सेवकों को बुलाकर कहा-“जल्दी से शैलकपुर नगर की सफाई करवाकर रमणीय बना दो (पूर्व सम) और कार्यपूर्ति की सूचना दो।" ।
यह काम हो जाने पर राजा ने पुनः सेवकों को बुलाया और कहा-"जल्दी से शैलक महाराज के वैभवपूर्ण दीक्षाभिषक की तैयारी करो।" दीक्षोत्सव का समस्त विवरण वैसा ही है जैसा मेघकुमार की दीक्षा में हुआ था। विशेष घटना यह है कि शैलक के अग्रकेश पद्मावती देवी ने ग्रहण किये। दीक्षा के पश्चात् शैलक अनगार ने अध्ययन किया और फिर बहुविध तपस्या करते हुए विहार करने लगे। DIKSHA OF SHAILAK
52. Now Shailak sought permission for Diksha from king Manduk. King Manduk called his staff and said, "Go and make immediate arrangements for the cleaning (etc. ) of Shailakpur town and report back."
When this work was done the king once again called his staff and said, “Make all necessary arrangements for a grand initiation ceremony for Maharaj Shailak.” The detailed description of this ceremony is same as that mentioned in the story of Megh Kumar. The only difference is that the pulled locks of hair were collected by Padmavati Devi. After being initiated Shailak Anagar completed his studies and commenced his itinerant life doing a variety of penances.
सूत्र ५३. तए णं से सुए सेलयस्स अणगारस्स ताई पंथयपामोक्खाइं पंच अणगारसयाइं सीसत्ताए वियरइ।
तए णं से सुए अन्नया कयाइं सेलगपुराओ नगराओ सुभूमिभागाओ उज्जाणाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ।
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JNĀTĀ DHARMA KATHĂNGA SŪTRA
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