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ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र
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सूत्र ७ : जइ णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं छट्ठस्स अंगस्स दो सुयक्खंधा पण्णत्ता, तं जहा-णायाणि य धम्मकहाओ य, पढमस्स णं भंते! सुयक्खंधस्स समणेणं जाव संपत्तेणं णायाणं कइ अज्झयणा पण्णत्ता ? ___ सूत्र ७ : भंते ! उन भगवान महावीर ने छठे अंग के जो ज्ञात और धर्मकथा नामक दो श्रुतस्कन्ध कहे हैं उनमें से ज्ञात नामक प्रथम श्रुतस्कन्ध के कितने अध्ययन बताये हैं ?
7. Bhante! Of these two parts, how many chapters are there in the first part of the text known as Jnata? __सूत्र ८ : एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं णायाणं एगूणवीसं-अज्झयणा पण्णत्ता, तं जहा
उक्खित्तणाए, संघाडे, अंडे कुम्मे य, सेलगे। तुंबे य, रोहिणी, मल्ली, माइंदी, चंदिमाइ य॥१॥ दावद्दवे, उदगणाए, मंडुक्के, तेयली, वि य। णंदिफले, अमरकंका, आइण्णे, सुसमाइ य॥२॥
अवरे य पुंडरीए, णामा एगूणवीसइमे। सूत्र ८ : हे जम्बू ! उन श्रमण भगवान महावीर ने ज्ञात नामक श्रुतस्कन्ध के उन्नीस अध्ययनों का उपदेश दिया है। वे इस प्रकार हैं : १. उत्क्षिप्त ज्ञात, २. संघाट, ३. अंडक, ४. कूर्म, ५. शैलक, ६. तुम्ब ७. रोहिणी, ८: मल्ली, ९. माकंदी, १०. चन्द्र, ११. दावद्रव वृक्ष, १२. उदक, १३. मंडूक, १४. तेतलीपुत्र, १५. नन्दीफल, १६. अमरकंका, १७. आकीर्ण, १८. सुषमा और १९. पुण्डरीक-कुण्डरीक।। ____8. Jambu! Shraman Bhagavan Mahavir has preached nineteen chapters of this Jnata section. They are- 1. Utkshipta Jnata, 2. Sanghata, 3. Andak, 4. Kurma, 5. Shailak, 6. Tumba, 7. Rohini, 8. Malli, 9. Makandi, 10. Chandra, 11. Davadrava Vriksha, 12. Udaka, 13. Mandook, 14. Tetaliputra, 15. Nandiphal, 16. Amarkanka, 17. Akirna, 18. Sushama, and 19. Pundarik-kundarik..
सूत्र ९ : जइ णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं णायाणं एगूणवीसं अज्झयणा पण्णत्ता, तं जहा-उक्खित्तणाए जाव पुंडरीए य, पढमस्स णं भंते ! अज्झयणस्स के अट्ट पण्णत्ते ?
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RANI
JNATA DHARMA KATHANGA SUTRA
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