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शांताधर्मकथांग सूत्र
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चित्र परिचय THE ILLUSTRATIONS EXPLAINED
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जरा-मृत्यु से कौन रक्षा करेगा ? चित्र : १५ ___ गाथापत्नी थावच्चा वासुदेव श्रीकृष्ण की राजसभा में उपस्थित हुई और प्रार्थना करने लगीमहाराज ! भगवान अरिष्टनेमि से प्रतिबोध प्राप्त कर मेरा पुत्र दीक्षा लेना चाहता है। मैं उसका भव्य दीक्षा महोत्सव करना चाहती हूँ। अतः इसके लिए राजकीय छत्र-मुकुट-चामर आदि प्रदान करने का अनुग्रह करें।
श्रीकृष्ण ने कहा-मैं स्वयं तुम्हारे पुत्र का अभिनिष्क्रमण समारोह करूँगा। फिर श्रीकृष्ण थावच्चा पुत्र से मिलने आये और कहा-तुम संसार के सुख-भोगो, तुम्हारी कोई भी आपत्ति व विघ्न, बाधाएँ होंगी तो उनका निवारण मैं करूँगा। __थावच्चा पुत्र ने निवेदन किया हे देवानुप्रिय ! यदि आप मृत्यु तथा जरा को रोक देवें तो मैं
आपकी छत्रछाया में सुखों का निर्विघ्न भोग कर सकता हूँ। ___थावच्चा पुत्र का कथन सुनकर चकित हुए वासुदेव बोले-देवानुप्रिय ! इनका निवारण तो देव-दानव आदि किसी के भी सामर्थ्य से बाहर है। केवल तप द्वारा कर्म क्षय करके ही जरा एवं मृत्यु पर विजय प्राप्त की जा सकती है।
(अध्ययन ५) WHO CAN PROTECT FROM DEATH AND AGING ? ILLUSTRATION : 15
In Dwarka wealthy Thavaccha collected rich gifts, went to Krishna Vasudev and requested—“Maharaj! my only son desires to get initiated as an ascetic in the order of Arhat Arishtanemi. I want to felicitate him on the occasion of his renunciation. As such, I request you to give me your crown, canopy, and whisks for him." Krishna Vasudev replied, "Rest assured that I shall felicitate Thavacchaputra myself on that auspicious occasion." Krishna Vasudev went to meet Thavacchaputra and said, "Please continue to enjoy pleasures of worldly life. I will ensure that you are not plagued by any pain or misery." ___Thavacchaputra said, “Beloved of gods! If you can protect me from death and keep me untouched by old age, I shall come under your protection and enjoy pleasures of worldly life." Krishna said, “Beloved of gods! Even the most powerful gods or demons cannot overcome aging and death. These two can only be countered by shedding the acquired Karmas."
(CHAPTER-5)
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JNĀTĀ DHARMA KATHÄNGA SUTRA
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