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ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र/
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HILDHOODS
गिरिसिहर-नगर-गोउर-पासाय-दुवार-भवण-देउल-पडिसुयासयसहस्ससंकुलं सदं करेमाणे। बारवई नगरिं सब्भितर-वाहिरियं सव्वओ समंता से सद्दे विप्पसरित्था।
सूत्र ८. कृष्ण वासुदेव ने यह समाचार सुना तो सेवकों को बुलाकर कहा"देवानुप्रियो ! जल्दी से सुधर्मा सभा में जाकर मेघ गर्जन जैसी गम्भीर और मधुर ध्वनि || वाली कौमुदी नाम की भेरी बजाओ।" सेवक आज्ञा सुनकर प्रसन्न हुए और वहाँ से निकलकर सुधर्मा सभा में कौमुदी भेरी के निकट आये। वहाँ आकर उन्होंने वह भेरी | बजाई।
उस भेरी से कोमल, मधुर पर शरद ऋतु के मेघ जैसी गम्भीर ध्वनि निकली और नौ योजन चौडी, बारह योजन लम्बी द्वारका नगरी के शृंगाटक आदि (पूर्व सम) सभी स्थानों में असंख्य प्रतिध्वनियाँ करती भीतर-बाहर सभी भागों में गूंजती वह ध्वनि चारों और फैल गई।
WORSHIP OF KRISHNA
8. When Krishna Vasudev heard this news he called his attendants ! and said, “Beloved of gods! Rush to the Sudharma assembly hall and blow the Kaumudi trumpet that emits booming but melodious sound like thunder of clouds." The attendants happily went and did as ordered.
The trumpet emitted a soft and melodious sound but as booming as the thunder of winter clouds. With innumerable echoes the sound spread all around in each and every part of the one hundred and nine square Yojan expanse of the city of Dwarka and beyond.
सूत्र ९. तए णं बारवईए नयरीए नवजोयणवित्थिनए बारसजोयणायामाए समुद्दविजयपामोक्खा दस दसारा जाव गणियासहस्साइं कोमुईयाए भेरीए सई सोच्चा णिसम्म हट्ठतुट्ठा जाव ण्हाया आविद्धवग्घारियमल्लदामकलावा अहतवत्थ-चंदणोक्किन्नगायसरीरा अप्पेगइया हयगया एवं गयगया रह-सीया-संदमाणीगया, अप्पेगइया पायविहारचारेणं पुरिसवग्गुरापरिखित्ता कण्हस्स वासुदेवस्स अंतियं पाउब्भवित्था।
सूत्र ९. द्वारका नगरी में समुद्रविजय आदि सभी महत् गौण नागरिकों ने वह भेरी की गूंज सुनी और प्रसन्न हुए। सबने स्नानादि कर्म किये, नवीन वस्त्र धारण किये, चन्दनादि सुगन्धित द्रव्य लगाये और लम्बी मालाएँ पहनकर तैयार हुए। फिर कोई घोड़े पर, कोई हाथी पर, तो कोई रथ और पालकी पर सवार हुए और कृष्ण वासुदेव के पास गये। बहुत से लोग तो समूह बनाकर पैदल ही वहाँ पहुँचे।
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JNĀTĀ DHARMA KATHĀNGA SŪTRA
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