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ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र
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। सूत्र ३. तीसे णं बारवईए नयरीए बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए रेवतगे नाम पव्वए होत्था; तुंगे गगणतलमणुलिहंतसिहरे णाणाविहगुच्छ-गुम्म-लया-वल्लि-परिगए हंस-एस-मिग-मयूर-कोंच-सारस-चक्कवाय-मयणसार-कोइलकुलोववेए अणेगतडाग-वियरउज्झरय-पवाय-पब्भार-सिहरपउरे अच्छरगण-देव-संघ-चारण-विज्जाहर-मिहुणसंविचिन्ने निच्चच्छणए दसार-वरवीर-पुरिसतेलोक्क-बलवगाणं सोमे सुभगे पियदसणे सुरूवे पासाईए दरिसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे।
सूत्र ३. नगरी के बाहर उत्तर-पूर्व दिशा में रैवतक नाम का गगनचुम्बी पर्वत था। वह तरह-तरह के झाड़ी, झुरमुट, लता, बेल आदि से भरा पड़ा था। उसमें हंस, मृग, मयूर, कौंच, सारस, चकवा, मैना, कोयल आदि पशु-पक्षी झुण्ड बनाकर रहते थे। उसमें बहुत से तालाब, खोह, झरने, प्रपात, नीची-ऊँची चोटियाँ थीं। वहाँ अप्सरायें, देव, चारण, विद्याधर युगल आदि के समूह निरन्तर उत्सवरत रहते थे। वहाँ दशारवंशी वीर त्रिलोक का बल लिये विचरते थे। वह पर्वत सौम्य, सुभग, प्रियदर्शन और सुरूप था तथा दर्शनीय आदि था।
3. There was a high mountain range outside the town in the northpast direction. Its lush greenery included a variety of shrubs, bushes, vines, creepers, etc. Animals and birds including swans, deer, peacocks, franes, cuckoos, starlings, etc. inhabited this valley and moved around In flocks. There were numerous ponds, gorges, streams, water-falls, peaks and summits in that area. A variety of divine couples lead by Apsaras, Charans, and Vidyadhars always indulged in group festivities there. That mountain range was tranquil, serene, beautiful, Ienchanting, and attractive. । सूत्र ४. तस्स णं रेवयगस्स अदूरसामंते एत्थ णं णंदणवणे नामं उज्जाणे होत्था सव्योउय-पुप्फ-फलसमिद्धे रम्मे नंदणवणप्पगासे पासाईए दरिसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे। तस्स णं उज्जाणस्स बहुमज्झभागे सुरप्पिए नामं जक्खाययणे होत्था दिव्ये, वन्नओ।
सूत्र ४. रैवतक पर्वत के आसपास नन्दनवन नाम का एक उद्यान था। वह सर्व-ऋतु फल-फूलों से भरा पड़ा था और नन्दनकानन जैसा दर्शनीय आदि था। उद्यान के बीचोंबीच |सुरप्रिय नाम का एक दिव्य यक्षायतन था, ऐसा वर्णन मिलता है (औपपातिक सूत्र)। | 4. Near the Raivatak mountain was a garden named Nandanvan. It was filled with all-season flowering trees and was as beautiful as Nandan Kanan (the divine garden). At the centre of this garden was a Jdivine temple. (All this is detailed in the Aupapatik Sutra).
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