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चतुर्थ अध्ययन : कूर्म
निष्कर्ष : उपनय
सूत्र ९. एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं निग्गंथो वा निग्गंथी वा आयरियउवज्झायाणं अंतिए पव्वइए समाणे पंच य से इंदियाई अगुत्ताइं भवंति, सेणं इह भवे चेव बहूणं समणाणं बहूणं समणीणं सावगाणं साविगाणं हीलणिज्जे, परलोए वि य णं आगच्छइ बहूणि दंडणाणि जाव अणुपरियट्टा, जहा कुम्मए अगुत्तिंदिए ।
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सूत्र ९. हे आयुष्मान श्रमणो ! इसी प्रकार हमारे जो साधु-साध्वी दीक्षित होने के बाद पाँचों इन्द्रियों का गोपन नहीं करते, वे इसी भव में अनेक साधुओं आदि द्वारा निन्दनीय आदि ( पूर्व सम) होते हैं, परलोक में भी दंड भोगते हैं और अनन्त संसार में परिभ्रमण करते हैं।
THE LESSON
9. Long-lived Shramans ! The same way those of our ascetics who, after getting initiated, do not keep their five sense organs disciplined become the objects of criticism, public contempt, hatred and disrespect in this life. Besides this they also suffer misery in the next life and are caught in the cycle of rebirth indefinitely.
शांत स्वभाव का फल
सूत्र १०. तए णं ते पावसियालया जेणेव से दोच्चए कुम्मए तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता तं कुम्मयं सव्वओ समंता उव्वत्तेंति जाव दंतेहिं अक्खुडंति जाव करित्तए ।
तए णं ते पावसियालया दोच्चं पि तच्चं पि जाव नो संचाएंति तस्स कुम्मगस्स किंचि आबाहं वा पबाहं वा विबाहं वा जाव छविच्छेयं वा करित्तए, ताहे संता तंता परितंता निव्विन्ना समाणा जामेव दिसिं पाउब्भूआ तामेव दिसिं पडिगया ।
सूत्र १०. दोनों दुष्ट सियार फिर दूसरे कछुए के पास पहुँचे और उसे फिर पहले की तरह चीरने - फाड़ने की चेष्टा करने लगे । असफल होने पर वे फिर एकान्त में जाते और फिर कुछ देर में वही चेष्टा करते। पर इस कछुए ने अपने अंग बाहर नहीं निकाले इस कारण सियार उसे कोई हानि नहीं पहुँचा सके। अन्त में वे थक-हारकर खिन्न हो अपने स्थान को लौट गए।
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THE PATIENT TURTLE
10. Both those evil jackals then went near the other turtle and once again tried to tear it apart and kill it. When they failed they returned
CHAPTER-4: KURMA
Opaz 106
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OMO
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