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द्वितीय अध्ययन : संघाट
-HONE
( १७९)
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infant and took all its cloths and ornaments. He threw the dead, inactive and lifeless body of the infant in that broken well. Then he went into that nearby thicket. He sat down motionless, unstirring, silent, and concealed, waiting for the day to end.
सूत्र १९. तए णं से पंथए दासचेडे तओ मुहत्तंतरस्स जेणेव देवदिन्ने दारए ठविए तेणेव उवागच्छइ। उवागच्छित्ता देवदिन्नं दारयं तंसि ठाणंसि अपासमाणे रोयमाणे कंदमाणे विलवमाणे देवदिन्नदारगस्स सव्वओ समंता मग्गणगवेसणं करेइ। करित्ता देवदिन्नस्स दारगस्स कत्थइ सुई वा खुई वा पउत्तिं वा अलभमाणे जेणेव सए गिहे, जेणेव धण्णे सत्थवाहे तेणेव उवागच्छइ। उवागच्छित्ता धण्णं सत्थवाहं एवं वयासी-“एवं खलु सामी ! भद्दा सत्थवाही देवदिन्नं दारयं ण्हायं जाव मम हत्थंसि दलयइ। तए णं अहं देवदिन्नं दारयं कडीए गिण्हामि। गिण्हित्ता जाव मग्गणगवेसणं करेमि, तं न णज्जइ णं सामी ! देवदिन्ने दारए केणइ णीए वा अवहिए वा अवखित्ते वा।" पायवडिए धण्णस्स सत्थवाहस्स एयमटुं निवेदेइ। __ तए णं से धण्णे सत्थवाहे पंथयदासचेडगस्स एयमहूँ सोच्चा णिसम्म तेण य महया पुत्तसोएणाभिभूए समाणे परसुणियत्ते व चंपगपायवे धसत्ति धरणीयलंसि सव्वंगेहिं सन्निवइए। __सूत्र १९. उधर दास-पुत्र पंथक कुछ देर बाद वहाँ पहुँचा जहाँ उसने बालक को बिठाया था। बालक को वहाँ नहीं पा वह रोता-चिल्लाता इधर-उधर सब जगह उसे ढूँढ़ने लगा। पर उसे देवदत्त का न तो स्वर सुनाई दिया, न उसकी छींक आदि की कोई ध्वनि और न ही वह स्वयं कहीं दिखाई दिया। निराश हो वह अपने मालिक के घर लौटा और धन्य सार्थवाह से बोला--''हे स्वामी ! मालकिन भद्रा ने स्नानादि करवाकर वस्त्राभूषण पहनाकर बालक को मुझे दिया था। मैं उसे लेकर बाहर गया और एक जगह बैठा दिया। कुछ देर बाद वह मुझे दिखाई नहीं दिया। मैंने सब जगह ढूँढ़ लिया। स्वामी ! पता नहीं देवदत्त को कोई मित्र अपने साथ ले गया, किसी चोर ने अपहरण कर लिया अथवा किसी ने कहीं फेंक दिया।" उस दास-पुत्र ने धन्ना के पैरों में पड़कर यह सब बताया। __पंथक की बात सुनकर धन्य सार्थवाह पुत्र शोक से व्याकुल हो उठा और कुल्हाड़ी से कटे चम्पा के पेड़ के समान धड़ाम से धरती पर गिरकर मूर्छित हो गया।
19. After sometime slave-boy Panthak came to the spot where he had left Devdutt. Not finding the child he started crying and, shouting the boy's name started searching all around. But he could neither locate Devdutt nor hear the voice or any other sound, like sneezing, emitted by the child.
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CHAPTER-2 : SANGHAT
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