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द्वितीय अध्ययन : संघाट
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जाव (कयबलिकम्मा) उल्लपडसाडगा जेणेव णागघरए जाव धूवं दहइ। दहित्ता पणाम करेइ, पणामं करेत्ता जेणेव पोक्खरिणी तेणेव उवागच्छइ। तए णं ताओ मित्त-नाइ जाव नगरमहिलाओ भई सत्थवाहिं सव्वालंकार-विभूसियं करेइ।
तए णं सा भद्दा सत्थवाही ताहिं मित्त-नाइ-नियग-सयण-संबंधि-परिजणणगरमहिलियाहिं सद्धिं तं विउलं असण-पाण-खाइम-साइमं जाव परिभुंजेमाणी य दोहलं विणेइ। विणित्ता जामेव दिसिं पाउब्भूया तामेव दिसिं पडिगया। ___ सूत्र १३. धन्य सार्थवाह से अनुमति पा भद्रा प्रसन्न हुई और प्रचुर सामग्री के साथ नदी के किनारे जा, स्नानादि करके देवकुलों में जा वह यथाविधि उपासना पूर्ण कर वापस नदी के किनारे आई। वहाँ उसके साथ आई महिलाओं ने उसे वस्त्राभूषणों से अलंकृत किया। फिर उसने अपने साथ आई स्त्रियों के साथ आहारादि ग्रहण करके आनन्द से अपना दोहद पूर्ण किया और घर को लौट आई। ___13. Bhadra was pleased to get the permission. She went to the river bank with plenty of things she needed, took her bath (etc.), went into the temples, performed the ritual worship and returned to the river bank. There the ladies accompanying her adorned her with the cloths and ornaments. Enjoying the food with her friends she fulfilled her Dohad and returned home. पुत्र-प्रसव
सूत्र १४. तए णं सा भद्दा सत्थवाही संपुन्नडोहला जाय तं गब्भं सुहंसुहेणं परिवहइ।
तए णं सा भद्दा सत्थवाही णवण्हं मासाणं बहुपडिपुन्नाणं अद्धट्ठमाणं राइंदियाणं सुकुमाल-पाणि-पायं जाव सव्यंगसुंदरंगं दारगं पयाया।
सूत्र १४. दोहद पूर्ति के बाद भद्रा सभी कार्य पूरी सावधानी से करती हुई और उचित पथ्य ग्रहण करती हुई गर्भ को सुखपूर्वक वहन करने लगी। नौ महीने और साढ़े सात दिन बीतने पर उसने एक सुकुमार अंगों वाले बालक को जन्म दिया। BIRTH OF A SON
14. After her Dohad was fulfilled Bhadra started taking due care in all her movements and activities. She ate nutritious food and spent the pregnancy period taking due precautions. When nine months and seven and a half days passed she gave birth to a male child having a delicate body.
CHAPTER-2 : SANGHAT
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