________________
( १७२)
ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र
O2ms
M A/AHDIMANAS
1
यू
WAVA
य जाव वेसमणपडिमाण य आलोए पणामं करेइ, ईसिं पच्चुन्नमइ। पच्चुन्नमित्ता लोमहत्थगं परामुसइ। परामुसित्ता नागपडिमो य जाव वेसमणपडिमाओ य लोमहत्थेणं पमज्जइ, उदगधाराए अब्भुक्खेइ। अब्भुक्खित्ता पम्हलसुकुमालाए गंधकासाईए गायाई लूहेइ। लूहित्ता महरिहं वत्थारुहणं च मल्लारुहणं च गंधारुहणं च चुन्नारुहणं च वन्नारुहणं च करेइ। करित्ता धूवं डहइ, डहित्ता जाणुपायवडिया पंजलिउडा एवं वयासी-“जइ णं अहं दारगं वा दारिगं वा पयायामि तो णं अहं जायं य जाव अणुवुड्डेमि" त्ति कटु उवाइयं करेइ, करित्ता जेणेव पोक्खरिणी तेणेव उवागच्छइ। उवागच्छित्ता विपुलं असण पाण खाइम साइमं आसाएमाणी जाव विहरइ। जिमिया जाव सुइभूया जेणेव सए गिहे तेणेव उवागया। __ सूत्र १०. अनुमति प्राप्त कर भद्रा प्रसन्न हुई और प्रचुर सामग्री तैयार करवाकर वस्त्रालंकार आदि लेकर घर से बाहर निकली। नगर के बीच से होती वह नदी के किनारे पहुँची और समस्त सामग्री किनारे रखकर नदी में उतर गई। नदी के जल में क्रीड़ादि कर स्नान किया। फिर शुभ अनुष्ठान कर गीले वस्त्र धारण किये नदी में रहे अनेक प्रकार के कमल लिये और नदी से बाहर निकल आई। अपने साथ लाई सारी सामग्री पुनः एकत्र कर देवालयों में गई, प्रतिमाओं को नमस्कार किया, हाथ में मोर पंख लेकर नीचे झुकी और प्रतिमाओं को साफ किया, जल की धारा से अभिषेक किया, रोएँदार और कोमल कषाय रंग के कपड़े से प्रतिमाओं के अंग पोंछे, वस्त्र पहनाये, पुष्पमाला पहनाई, गंध का लेप किया, चूर्ण चढ़ाया, रंग चढ़ाया और धूप जलाई। यह सब अनुष्ठान कर घुटने टिकाकर दोनों हाथ जोड़कर प्रणाम किया और मन्नत माँगी-“अगर मैं सन्तानवती हुई तो आपकी यज्ञ-पूजा आदि करूँगी (पूर्व सम)।" यह मन्नत माँगने के बाद भद्रा वापस नदी किनारे आई
और आहारादि प्रसाद ग्रहण कर हाथ-मुँह धो घर लौटी। WORSHIP FOR OFFSPRING ____10. Bhadra was pleased to get the permission. She arranged for all the things needed including dresses and ornaments in large quantities and came out of her house. Passing through the town she went to the river bank, placed her belongings at the bank and dived into the river. After a playful bath and still in wet dress she picked a variety of lotus flowers and came out of the river. She collected all her belongings from the river bank and proceeded to the temples.
Entering each temple she paid homage before the idols, bent down and cleaned the idols with peacock-feather broom, anointed them by
AYA
4
(172)
JNĀTĀ DHARMA KATHANGA SŪTRA
GM
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org