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द्वितीय अध्ययन : संघाट
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तए णं से धण्णे सत्थवाहे रायगिहे नयरे बहणं नगर-निगम-सेटि-सत्थवाहाणं अट्ठारसण्ह य सेणिप्पसेणीणं बहुसु कज्जेसु य कुडुंबेसु य मंतेसु य जाव चक्खुभूए यावि होत्था। नियगस्स वि य णं कुडुंबस्स बहुसु य कज्जेसु जाव चक्खुभूए यावि होत्था।
सूत्र ५. धन्य सार्थवाह के यहाँ पंथक नामका एक दास-पुत्र था। वह सर्वांग सुन्दर और पुष्ट देह वाला था तथा बच्चों को खिलाने में कुशल था। ___ धन्य सार्थवाह राजगृह नगर में रहने वाले अनेक व्यापारियों, सेठों, सार्थवाहों तथा
अठारह जातियों तथा उनकी उपजातियों के विविध कर्मों में, पारिवारिक समस्याओं व मंत्रणाओं में उसी प्रकार मार्गदर्शक के रूप में आदर पाता था जैसे अपने कुटुंब के ऐसे ही कार्यों में।
5. Dhanya merchant had a boy-slave named Panthak. He was well proportioned and healthy and was expert in child care.
As he did in such matters in the family, Dhanya merchant also enjoyed a high reputation as a trouble shooter and counselor for social and other matters and problems in the trading community as well as all the eighteen castes and sub-castes. विजय चोर
सूत्र ६. तत्थ णं रायगिहे नगरे विजए नामं तक्करे होत्था, पावे चंडालरूवे भीमतररुद्दकम्मे आरुसिय-दित्त-रत्त-नयणे खर-फरुस-महल्ल-विगय-बीभच्छदाढिए असंपुडियउट्टे उद्धय-पइन्न-लंबंत-मुद्धए भमर-राहुवण्णे निरणुक्कोसे निरणुतावे दारुणे पइभए निसंसइए निरणुकंपे अहिव्वएगंतदिट्ठिए, खुरे व एगंतधाराए, गिद्धे व आमिसतल्लिच्छे अग्गिमिव सव्वभक्खी, जलमिव सव्वगाही, उक्कंचण-वंचणमाया-नियडिकूडकवड-साइ-संपओगबहुले, चिरनगरविणट्ठ-दुट्टसीलायारचरित्ते, जूयपसंगी, मज्जपसंगी भोज्जपसंगी, मंसपसंगी, दारुणे, हिययदारए, साहसिए, संधिच्छेयए, उवहिए, विस्संभघाई, आलीयगतित्थभेय-लहुहत्थसंपउत्ते, परस्स दव्वहरणम्मि निच्चं अणुबद्ध, तिव्ववेरे,
रायगिहस्स नगरस्स बहणि अइगमणाणि य निग्गमणाणि य दाराणि य अवदाराणि य छिंडिओ य खंडिओ य नगरनिद्धमणाणि य संवट्टणाणि य निव्वट्टणाणि य जूयखलयाणि य पाणागाराणि य वेसागाराणि य तद्दारहाणाणि य तक्करघराणि य सिंघाडगाणि य तियाणि य चउक्काणि य चच्चराणि य नागघराणि य भूयघराणि य
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dhitana
Shagun
/ CHAPTER-2: SANGHAT
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