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ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र
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विचार से अपनी सूंड को पूरी तरह फैलाया पर वह पानी के निकट नहीं पहुँच सकी। हताश हो तुमने कीचड़ से बाहर निकलने की इच्छा से जोर लगाया तो दलदल में और धंस गये।
128. “Megh! You proceeded away from the bank but before reaching near the water you were caught in the swamp. In order to drink a little water somehow, you stretched your trunk but failed to reach it. Loosing hope you pushed hard to come out of the swamp achieving the opposite and going deeper.
सूत्र १२९. तए णं तुमं मेहा ! अन्नया कयाइ एगे चिरनिज्जूढे गयवरजुवाणए सयाओ जूहाओ कर-चरण-दंतमुसल-प्पहारेहिं विप्परद्धे समाणे तं चेव महद्दहं पाणीयं पाएउं समोयरेइ।
तए णं से कलभए तुम पासति, पासित्ता तं पुव्ववेरं समरइ। समरित्ता आसुरुत्ते रुट्टे कुविए चंडिक्किए मिसिमिसेमाणे जेणेव तुमं तेणेव उवागच्छइ। उवागच्छिता तुमं तिक्खेहिं दंतमुसलेहिं तिक्खुत्तो पिट्ठओ उच्छुभइ। उच्छुभित्ता पुचवेरं निज्जाएइ। निज्जाइत्ता हट्टतुट्टे पाणियं पियइ। पिइत्ता जामेव दिसिं पाउब्भूए तामेव दिसिं पडिगए।
सूत्र १२९ “मेघ ! उसी समय उसी सरोवर में एक अन्य बलिष्ट युवा हाथी पानी पीने उतरा। किसी समय तुमने इस युवा हाथी को अपनी सूंड़, पैर और दाँतों से मारकर अपने यूथ से बाहर निकाल दिया था। उसने जब तुम्हें दलदल में फँसे देखा तो उसे पुरानी घटना याद हो आई और वैर की भावना जगकर क्रोध में ढल गई। क्रोध ने जब प्रचण्ड रौद्र रूप धारण कर लिया तो क्रोधाग्नि से जलकर वह तुम्हारे निकट आया और अपने तीखे दाँतों से तीन बार तुम्हारी पीठ को छेद दिया। अपनी वैर-भावना को शांत कर प्रसन्न हो उसने पानी पीया और जिस दिशा से आया था उधर ही लौट गया। ____129. “Megh! Just at that moment another strong and young elephant stepped in to drink water. Sometime in the past you had hit it with your trunk, legs and tusks and pushed it out of the herd. When it saw you caught in the swamp it remembered the incident from the past and the feeling of vengeance surfaced to make it angry. When the anger grew intense, burning with the desire to take revenge, it approached you and pierced your back with its sharp tusks three times. After quenching its inner thirst for vengeance it happily quenched its physical thirst and went away.
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JNATA DHARMA KATHANGA SŪTRA
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