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ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र
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124. "Megh! In that birth as the king elephant you were always surrounded by a herd of large and small elephants of all ages and sex. You were the leader, guide, commander, organizer, chief, and progenitor of a herd of one thousand elephants. You roamed around leading your own herd as well as many other strays and babies. __ सूत्र १२५. तए णं तुम मेहा ! णिच्चप्पमत्ते सइं पललिए कंदप्परई मोहणसीले अवितण्हे कामभोगतिसिए बहहिं हत्थीहि य जाव संपरिवुडे वेयड्डगिरिपायमूले गिरीसु य, दरीसु य, कुहरेसु य, कंदरासु य, उज्झरेसु य, निज्झरेसु य, वियरएसु य, गड्ढासु य, पल्ललेसु य, चिल्ललेसु य, कडएसु य, कडयपल्ललेसु य, तडीसु य, वियडीसु य, टंकसु य, कूडेसु य, सिहरेसु य, पब्भारेसु य, मंचेसु य, मालेसु य, काणणेसु य, वणेसु य, वणसंडेसु य, वणराईसु य, नदीसु य, नदीकच्छेसु य, जूहेसु य, संगमेसु य, बावीसु य, पोक्खरिणीसु य, दीहियासु य, गुंजालियासु य, सरेसु य, सरपंतियासु य, सरसरपंतियासु य, वणयरेहिं दिनवियारे बहूहिं हत्थीहि य जाव सद्धिं संपरिवुडे बहुविहतरुपल्लव-पउरपाणियतणे निब्भए निरुव्विग्गे सुहंसुहेणं विहरसि। __सूत्र १२५.. “हे मेघ ! उस भव में गजराज के रूप में तुम मस्त, क्रीड़ारत, कंदर्परति-क्रीड़ाप्रिय, मैथुन-प्रिय, अतृप्त वासना और कामभोग की तृष्णायुक्त थे। तुम अनेक हाथियों आदि से घिरे वैताढ्य पर्वत की तराई में, पहाड़ियों, गुफाओं, दरों, कन्दराओं, प्रपातों, झरनों, नहरों, गड्ढों, तलैयों, दलदलों, खोहों, झीलों, तटों, अटवी, टीलों, कूटों, चोटियों, ढलानों, पुलों, काननों, वनों, वनखंड़ों, बीहड़ों, नदियों, किनारे के जंगलों, यूथों, संगमों, वापियों, पुष्करणियों, दीर्घिकाओं, गुंजलिकाओं, सरोवरों, सरोवरों की पंक्तियों, संयुक्त सरोवरों आदि अनेक प्रकार के स्थानों में वनचरों की रोक-टोक के बिना विचरण करते थे। इस प्रकार तुम निर्भय, निरुद्वेग हो सुख से घूमते रहते थे। ___125. “Megh! In that life as the king elephant you were wild, playful, lustful, passionate, and lascivious due to insatiable acute libido. Surrounded by your herd you moved around unchecked by foresters in the valley of Vaitadhya mountain in and around a variety of spots and places like-hills, caves, ravines, caverns, waterfalls, streams, channels, ditches, ponds, swamps, crags, lakes, banks, forests, knolls, horns, peaks, slopes, bridges, gardens, jungles, woods, dense forests, rivers, mangroves on river banks, thickets, junctions, tanks, rivulets, large rivers, rapids, pools, rows of pools, joint pools, etc. Thus you roamed fearless, free and happy.
AAMA
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JNATA DHARMA KATHANGA SŪTRA
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