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प्रथम अध्ययन : उत्क्षिप्त ज्ञात
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aama
NIRDO
wandering from one village to another, arrived in Rajagriha city and stayed at a proper place in the Gunasheel temple complex.
At that time the roads and other areas of Rajagriha city were filled with clamour of groups of excited people. Citizens from various clans and groups came out of their houses and all the roads led in one direction only. At that moment, enjoying instrumental music in his room, Megh Kumar was looking down at the commotion on the highway.
सूत्र ७७. तए णं से मेहे कुमारे ते बहवे उग्गे भोगे जाव एगदिसाभिमहे पासति पासित्ता कंचु-इज्जपुरिसं सद्दावेति, सद्दावित्ता एवं वयासी-“किं णं भो देवाणुप्पिया ! अज्ज रायगिहे नगरे इंदमहेति वा, खंदमहेति वा, एवं रुद्द-सिव-वेसमण-नाग-जक्खभूय-नई-तलाय-रुक्ख-चेतिय-पव्यय-उज्जाण-गिरिजत्ताइ वा ? जओ णं बहवे उग्गा भोगा जाव एगदिसिं एगाभिमुहा णिग्गच्छंति ?"
सूत्र ७७. मेघकुमार लोगों की भीड़ को एक ही दिशा में जाते देखकर अपने सेवक को बुलाकर पूछता है-'हे देवानुप्रिय ! राजगृह नगर में क्या आज इन्द्रोत्सव मनाया जा रहा हैं ? कार्तिकेय का महोत्सव है ? अथवा रुद्र, शिव, कुबेर, नाग, यक्ष, भूत, नदी, तालाब, वृत्त, चैत्य, पर्वत, उद्यान या गिरि की यात्रा है ? आज सभी लोगों की भीड़ एक ही दिशा मं क्यों जा रही है ?"
77. Looking at the large crowd going in a specific direction, Megh Kumar called a member of his staff and asked, “Beloved of gods! Is the town celebrating the festival of Indra or Kartikeya today? Is there some procession being taken out in honour of Rudra, Shiva, Kuber, Naag, Yaksha, Bhoot, (deities) in the direction of some sacred river, pond, circle, temple, hill, or mountain? Why all the groups of people are moving in the same direction?"
सत्र ७८. तए णं से कंचुइज्जपुरिसे समणस्स भगवओ महावीरस्स गहियागमणपवित्तीए मेहं कुमारं एवं वयासी-"नो खलु देवाणुप्पिया ! अज्ज रायगिहे नयरे इंदमहेति वा जाव गिरिजत्ताओ वा, जं णं एए उग्गा जाव एगदिसिं एगाभिमुहा निग्गच्छंति, एवं खलु देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे आइगरे तित्थयरे इहमागते, इह संपत्ते, इह समोसढे, इह चेव रायगिहे नयरे गुणसिलए चेइए अहापडि0 जाव विहरति।"
Saro
RAMIna
CHAPTER-1 : UTKSHIPTA JNATA
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