________________
SS
चउत्थं अज्झयणं: छज्जीवणिया चतुर्थ अध्ययन : षड्जीवनिका FOURTH CHAPTER : SHADJEEVANIKA
SIX LIFE FORMS
R
विद्या
धर्म-प्रज्ञप्ति का कथन
१. सुयं मे आउसं ! तेणं भगवया एवमक्खायं-इह खलु छज्जीवणिया नामज्झयणं समणेणं भगवया महावीरेणं कासवेणं पवेइया सुयक्खाया सुपन्नत्ता। सेयं मे अहिज्जिउं अज्झयणं धम्मपन्नत्ती।
आयुष्मान् ! मैंने सुना है कि गुरु-भगवन्त ने यह कहा-काश्यप गोत्रीय श्रमण भगवान महावीर ने प्रत्यक्ष ज्ञान द्वारा जानकर निश्चय ही षड़जीवनिका नामक अध्ययन का भलीभाँति सम्यक् रूप में प्रवचन किया है। इस धर्म-प्रज्ञप्ति (धर्म का | सम्यक् प्रतिपादन करने वाले) नामक अध्ययन का ज्ञान प्राप्त करना मेरे आत्मा । के लिए श्रेयस्कर है।।१।।
PROPAGATION OF RELIGION
1. Long lived one! I have heard that Guru-bhagavant (grerit teacher) has said this-It is certain that Shraman Bhagavan Mahavir of the Kashyap clan has, after knowing through direct perception, properly presented and explained the chapter titled Six Life Forms. It is beneficial for my soul to understand this chapter entitled Dharma-prajnapti, or Propagation of Religion).
चतुर्थ अध्ययन : षड्जीवनिका Fourth Chapter : Shadjeevanika
४५
-
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org