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विशेषार्थ :
श्लोक ८. भोजराज एवं अंधकवृष्णि-आचार्य श्री आत्माराम जी महाराज ने भोजराज की पुत्री का अर्थ किया है - उग्रसेन राजा की पुत्री राजीमती और अंधकवृष्णि के पुत्र - अर्थात् समुद्रविजय के पुत्र रथनेमि ।
ELABORATION:
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(8) Bhoyaraya and Andhagvahinno-According Acharyashri Atmaram ji M., the daughter of the king of Bhojas means Rajimati, the daughter of king Ugrasen, and the son of Andhak Vrishnis means Rathnemi, the son of king Samudravijaya.
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९ : जइ तं काहिसि भावं जा जा दिच्छसि नारिओ । वायाविद्धो व्व हडो अट्ठिअप्पा भविस्ससि ॥
यदि तू जिस-जिस स्त्री को देखेगा, उसके प्रति राग-भाव करेगा तो वैसा ही अस्थिर चित्त होकर डोलता रहेगा जैसे वायु के वेग से हट नामक वनस्पति । (यह बिना जड़ की एक जलीय वनस्पति होती है जैसे - जलकुम्भी ) ॥९॥
9. If you feel passion for whichever woman you set your eye upon, you will be unsteady in mind and waver as the hutplant does in wind (this is a rootless aquatic plant; plankton). रथनेमि स्थिर हो गया
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१० : तीसे सो वयणं सोच्चा संजयाइ सुभासियं । अंकुसेण जहा नागो धम्मे संपडिवाइओ ॥
उस (राजीमती) संयमवती के सुभाषित वचन सुनकर रथनेमि संयम में वैसे ही सुस्थिर हो गया जैसे अंकुश लगने पर हाथी वश में आ जाता है ॥ १० ॥
RATHNEMI COMPOSES HIMSELF
10. Having heard these inspiring words from the disciplined lady (Rajimati), like a mad elephant goaded by the lance, Rathnemi regained his composure and established himself in religious discipline.
द्वितीय अध्ययन : श्रामण्यपूर्विका Second Chapter : Samanna Puvviya
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