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GHUMIN
राजगृह में एक लकड़हारे ने सुधर्मा स्वामी के पास दीक्षा ली। जब वह भिक्षा के लिए जाता तो लोग ताने मारते कि यह तो गरीव लकड़हारा है जो दीक्षा लेकर त्यागी बन गया है। नव-श्रमण ने सुधर्मा स्वामी से सरल बुद्धि से कहा-“मुझे यहाँ से कहीं और ले चलें, ये ताने मुझसे सहन नहीं होते।" गणधर सुधर्मा ने अभयकुमार से कहा-"हम यहाँ से विहार करेंगे।" जब अभयकुमार ने सुधर्मा स्वामी से पूछा कि आपश्री को क्या असुविधा है ? तो उन्होंने सारी वात वताई। अभयकुमार ने आश्वस्त किया कि मैं युक्ति से यह चर्चा समाप्त कर दूंगा।
दूसरे दिन अभयकुमार ने रत्नों के तीन ढेर लगाये और घोषणा करवा दी कि कुमार दान दे रहे हैं। जब लोग आने लगे तो उन्होंने कहा-“जो व्यक्ति अग्नि, पानी तथा स्त्री का त्याग करेगा उसे मैं ये तीन रत्न ढेर दूंगा।' लोगों ने कहा-'इन तीनों को त्याग देने के बाद ये रल किस काम आयेंगे।" तब अभयकुमार ने समझाया-"यह समझते हो तो लकड़हारे के त्याग को त्याग न मानकर ताने क्यों देते हो? जो इन तीन महत् वस्तुओं का त्याग कर संयम में स्थित होता है वह अकिंचन भी त्यागी है।"
ELABORATION:
(3) A question arises here. If only he can be called a lenouncer who abandons all he has, then what about someone who is a poor destitute? Is his getting initiated meaningless? In order to resolve this doubt the commentators have given a very good story
In Rajagriha a wood-cutter got initiated by Sudharma Swami. When he went begging, people made fun of him by commenting that he was a poor wood-cutter, and that by getting initiated he is trying to glorify his misery; he was no renouncer. The young ascetic approached Sudharma Swami and said without any guile, “Please take me to some other place. I cannot tolerate these taunts." Ganadhar Sudharma, in turn, said to Abhaya Kumar, “I would like to leave Rajagriha." When Abhaya Kumar asked about the reason for this sudden decision, Sudharma Swami told him the story. Abhaya Kumar assured him that he would stop the taunting at once.
The next morning Abhaya Kumar placed three heaps of gems in his courtyard and made an announcement to the effect that the prince was making charitable gifts. When the masses arrived he said, “I will give these three heaps of gems to the person who
| द्वितीय अध्ययन : श्रामण्यपूर्विका Second Chapter : Samanna Puvviya
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SIROHI
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