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WHO IS A RENOUNCER ?
2. A person who is unable to enjoy things like clothing, perfumes, ornaments, a woman, a seat, a bed, etc. for reasons beyond his control is not a renouncer. विशेषार्थ : ___ श्लोक २. अच्छन्दा-अस्ववशाः-जो परवश पराधीन हो तथा इन्द्रिय आदि से अक्षय हो। ये दोनों अर्थ ही यहाँ उपयुक्त हैं। प्रचलित भाषा में मजबूरी, चाहे वह किसी के दवाव की हो अथवा अपने अभाव की। मजबूरी के कारण भोग से विमुख होने वाला त्यागी नहीं है। ELABORATION:
(2) Acchanda-He who is dependent on, or a slave of, someone or is physically disabled. Both these meanings apply here. In common terms, it means compulsion arising out of outside pressures or inner weakness. If a person has to abandon mundane indulgences under compulsion he cannot be called a renouncer.
३ : जे य कंते पिए भोए लद्धे विपिट्टिकुव्वई।
साहीणे चयइ भोए से हु चाइ त्ति वुच्चइ॥ त्यागी तो वही कहलाता है, जो स्वाधीन (समर्थ और स्वच्छन्द) होते हुए उपलब्ध, कान्त और प्रिय भोगों से मुँह फेर लेता है और स्वतः इच्छापूर्वक उनका त्याग करता है॥३॥
(अधिक स्पष्टता के लिए चित्र क्रमांक ३ देखें।)
3. Only he is a true renouncer who is his own master, who turns away from all available and desired indulgences, and abandons them of his own free will. (illustration No. 3) विशेषार्थ : ___ श्लोक ३. यहाँ एक सन्देह उठता है कि उपलब्ध का त्याग करना ही यदि त्याग है तो जिसके पास कुछ भी उपलब्ध नहीं है ऐसा अकिंचन क्या त्यागी नहीं बन सकता? क्या उसका प्रव्रज्या लेना निरर्थक है ? इस शंका के समाधान में व्याख्याकारों ने एक सुन्दर दृष्टान्त दिया है
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श्री दशवैकालिक सूत्र : Shri Dashavaikalik Sutra
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Ayuul
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