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धर्म का स्वरूप
पढमं अज्झयणं: दुमपुप्फिया प्रथम अध्ययन : द्रुमपुष्पिका
FIRST CHAPTER: DUM PUPFIYA THE TREE-FLOWERS
१ धम्मो मंगलमुक्तिट्ठ अहिंसा संजमो तवो। देवा वि तं नमसंति जस्स धम्मे सया मणो ॥
धर्म उत्तम मंगल है। धर्म का लक्षण है- अहिंसा, संयम और तप । जिसका मन धर्म में सदा रमा रहता है उस साधक को देवता ( चक्रवर्ती आदि) भी नमस्कार करते हैं ॥१॥
THE FORM OF DHARMA
1. Dharma is the best among propitious things. The attributes of dharma are ahimsa, discipline and austerities (tap). Even gods ( and emperors, kings, etc.) salute him who is ever absorbed in dharma.
विशेषार्थ :
श्लोक १. अहिंसा - प्रमादयुक्त मन-वचन-कर्म से किसी जीव को कष्ट व पीड़ा पहुँचाना तथा उसके प्राणों का वध करना हिंसा है। हिंसा का अभाव अहिंसा है। साथ ही समस्त जीवों के प्रति करुणा, दया, मैत्री एवं समवृत्ति रखना अहिंसा है।
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विस्तार से पृथ्वी, पानी, अग्नि, वायु, वनस्पति एवं सकाय - इन छह प्रकार की जीव योनियों को किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं पहुँचाना, उनकी हिंसा नहीं करना अहिंसा का निषेधपक्ष है तथा प्राणिरक्षा, मैत्री, करुणा, और अपनी आत्मा के समान सबका सुख-दुःख समझना अहिंसा का विधायक रूप है।
प्रथम अध्ययन : द्रुमपुष्पिका First Chapter Dum Pupfiya
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