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JAMMA
dharma that includes superlative samvar (the process of blocking the inflow of karmas). सज्ञान क्रिया का अन्तिम फल मोक्ष
२0 : जया संवरमुक्किटुं धम्मं फासे अणुत्तरं।
तया धुणइ कम्मरयं अबोहिकलुसं कडं॥ जब मनुष्य उत्कृष्ट संवरयुक्त अनुत्तर (श्रेष्ठ) धर्म का स्पर्श करता है तब वह अज्ञानपूर्वक संचित कर्मरज को झाड़कर दूर कर देता है॥२०॥ THE FINAL OUTCOME OF ACTION WITH KNOWLEDGE
20. When man embraces the unique dharma that include superlative samvar (the process of blocking the inflow of karmas), he wipes off the particles of karma that he had accumulated in ignorance.
२१ : जया धुणइ कम्मरयं अबोहिकलुसं कडं।
तया सव्वत्तगं नाणं दंसणं चाभिगच्छइ॥ ___ जब मनुष्य अबोधि-अज्ञानरूप पाप द्वारा संचित कर्मरज को झाड़कर दूर कर देता है तब वह सर्वव्यापी ज्ञान और दर्शन (केवलज्ञान, केवलदर्शन) को प्राप्त कर लेता है॥२१॥
21. When a man wipes off the particles of karma that he had accumulated in ignorance, he acquires all-enveloping knowledge and perception (Kewal Jnana and Kewal Darshan).
२२ : जया सव्वत्तगं नाणं दंसणं चाभिगच्छड।
तया लोगमलोगं च जिणो जाणइ केवली॥ जब मनुष्य सर्वव्यापी ज्ञान और दर्शन (केवलज्ञान और केवलदर्शन) को प्राप्त कर लेता है तब वह जिन एवं केवली लोक-अलोक को जान लेता है।।२२।।
22. When a man acquires all-enveloping knowledge and perception (Kewal Jnana and Kewal Darshan), he becomes a
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श्री दशवैकालिक सूत्र : Shri Dashavaikalik Sutra
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