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neither will I induce others to do so or approve of others doing $0. All my life I will observe this great .vow through three means and three methods. In other words, throughout my life I will, through mind, speech or body, neither do, induce others to do or approve of others doing such an act of lying.
Bhante! I critically review any such lying done in the past, denounce it, censure it and earnestly desist from indulging in it.
Bhante! I have now taken the second great-vow in which one abstains completely from lying.
१३. अहावरे तच्चे भंते ! महव्वए अदिन्नादाणाओ वेरमणं।
सव्वं भंते ! अदिन्नादाणं पच्चक्खामि-से गामे वा नगरे वा रण्णे वा अप्पं वा बहुं वा अणुं वा थूलं वा चित्तमंतं वा अचित्तमंतं वा, नेव सयं अदिन्नं गिण्हिज्जा नेवन्नेहिं अदिन्नं गिण्हावेज्जा अदिन्नं गिण्हते वि अन्ने न समणुजाणामि, जावज्जीवाए तिविहं तिविहेणं मणेणं वायाए काएणं न करेमि न कारवेमि करतं पि अन्नं न समणुजाणामि।
तस्स भंते ! पडिक्कमामि निंदामि गरिहामि अप्पाणं वोसिरामि।
तच्चे भंते ! महव्वए उवढिओमि सव्वाओ अदिन्नादाणाओ वेरमणं। - भन्ते ! इसके पश्चात् तीसरे महाव्रत में अदत्तादान (बिना दिया लेना) की | विरति होती है।
भन्ते ! मैं सर्व अदत्तादान का प्रत्याख्यान करता हूँ। गाँव में, नगर में या अरण्य में, कहीं भी अल्प या बहुत, सूक्ष्म या स्थूल, सचित्त या अचित्त किसी भी अदत्त वस्तु को स्वयं ग्रहण नहीं करूँगा, अन्य द्वारा अदत्त वस्तु को ग्रहण नहीं करवाऊँगा और अदत्त वस्तु ग्रहण करने वालों का अनुमोदन नहीं करूंगा। मैं समस्त जीवन पर्यन्त तीन करण और तीन योग से इसका पालन करूँगा। अर्थात् मैं जीवन पर्यन्त अदत्तादान ग्रहण की क्रिया मन, वचन, काया से न करूँगा, न कराऊँगा, न करने वाले का अनुमोदन करूँगा।
चतुर्थ अध्ययन : षड्जीवनिका Fourth Chapter : Shadjeevanika
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