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AMRIDIOWN
THE MOBILE BEINGS
9. Besides these, there are numerous mobile beings, such as-andaj, potaj, jarayuj, rasaj, samsvedaj, sammoorchanaj, udbhij and aupapatik.
Any living organism that has evident movement like forward movement, backward movement, squeezing, producing sound, expanding, turning, flinching, running, jumping, etc. is a mobile being. __Starting from insects, moths, worms and ants, all these beings having two, three, four or five senses, all animals, hell beings, human beings and gods, are religious (that is, desirous of bliss). (illustration No.6)
All beings of this sixth type are called mobile beings. विशेषार्थ :
सूत्र ९. बहवे तसापाणा-त्रस प्राणी अनेक प्रकार के बताये हैं। त्रस के दो भेद हैं(१) लब्धि त्रस-जो अभिप्रायपूर्वक गति करते हैं, वे लब्धि त्रस हैं, जैसे-द्वीन्द्रिय से लेकर पंचेन्द्रिय तक के प्राणी। (२) गति त्रस-जो सिर्फ गति करने के कारण ही त्रस कहे जाते हैं, जैसे-अग्नि, वायु।
बस प्राणियों के विविध भेद-(१) अण्डज-अण्डों से पैदा होने वाले, जैसे-मोर आदि। (२) पोतज-जो शिशु रूप में ही उत्पन्न होते हैं, जैसे-हाथी आदि। (३) जरायुज-जन्म के समय जिन पर जरायु (झिल्ली) लिपटी रहती है, जैसे-गाय, भैंस आदि। (४) रसज-छाछ, दही आदि रसों से उत्पन्न होने वाले जीव। (५) संस्वेदज-पसीने से उत्पन्न होने वाले, जैसे-जूं आदि। (६) समूर्छनज-माता-पिता के संयोग के बिना-बाहरी वातावरण के प्रभाव व संयोग से उत्पन्न होने वाले. जैसे-चींटी, मक्खी, मच्छर आदि। एकेन्द्रिय से चतुरिन्द्रिय तक के सभी जीव सम्मूर्छिम ही होते हैं। पंचेन्द्रिय जीवों के दो प्रकार हैं-सम्मूर्छिम और गर्भज (गर्भ से जन्म लेने वाले समनस्क जीव)। (७) उब्भिया-उद्भिज-पृथ्वी को भेदकर उत्पन्न होने वाले, जैसे-पतंगा आदि। (८) उववाइया-औपपातिक-अकस्मात् उत्पन्न होने वाले, जैसे-देवता और नारकीय जीव। इनके माता-पिता नहीं होते इसलिए इन्हें गर्भज भी नहीं कह सकते और इनके मन होता है, इसलिए ये सम्मूर्छिम भी नहीं हैं। इसी कारण इन्हें औपपातिक-अकस्मात् उत्पन्न होने वाले कहा है।
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चतर्थ अध्ययन :षड्जीवनिका Fourth Chapter : Shadjeevanika
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