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उन्मत्त पशुयुक्त मार्ग से जाने का निषेध
२७. से भिक्खू वा २ जाव पविढे समाणे से जं पुण जाणेज्जा-गोणं वियालं पडिपहे पेहाए, महिसं वियालं पडिपहे पेहाए, एवं मणुस्सं आसं हत्थिं सीहं वग्धं विगं दीवियं अच्छं तरच्छं परिसरं सियालं विरालं सुणयं कोलसुणयं कोकंतियं चित्ताचेल्लडयं वियालं पडिपहे पेट्टाए सइ परक्कमे संजयामेव परक्कमेज्जा, णो उज्जुयं गच्छेज्जा।
२७. वह साधु या साध्वी जिस मार्ग से भिक्षा के लिए जा रहे हों, यदि वे यह जाने कि मार्ग में सामने मदोन्मत्त सांड है या मतवाला भैंसा खड़ा है, इसी प्रकार दुष्ट मनुष्य, उन्मत्त घोड़ा, हाथी, सिंह, बाघ, भेड़िया, चीता, रीछ, जरख, अष्टापद, सियार, बिल्ला (वनबिलाव), कुत्ता, महाशूकर-(जंगली सूअर), लोमड़ा, चित्ता, चिल्लडक नामक एक जंगली जीव विशेष और साँप आदि मार्ग में खड़े या बैठे हैं, ऐसी स्थिति में दूसरा मार्ग हो तो उस मार्ग से जाए, किन्तु उस सीधे (जीव-जन्तुओं वाले) मार्ग से न जाए।
CENSURE OF GOING FROM A PATH HAVING ANIMALS
27. A bhikshu or bhikshuni while going to seek alms should find if a mad bull stands on the path he is heading on, or a wicked person, mad horse, elephant, lion, tiger, wolf, cheetah, bear, hyena, sarabh (a mythical animal supposed to have eight legs and inhabit snowy mountains), jackal, wild-cat, dog, wild boar, fox, chitta, chilladak (a wild animal; possibly leopard), snake or other such animal is sitting or standing on the path. In such condition he should avoid that path, even if it is straight and take to another path if any. दलदलयुक्त मार्ग से जाने का निषेध
२८. से भिक्खू वा २ जाव समाणे अंतरा से ओवाए वा खाणुं वा कंटए वा घसी वा भिलुगा वा विसमे वा विज्जले वा परियावज्जेज्जा। सइ परक्कमे संजयामेव (परक्कमेज्जा) णो उज्जुयं गच्छेज्जा।
२८. साधु-साध्वी भिक्षा के लिए जा रहे हों, बीच मार्ग में यदि गड्ढा हो, झूटा हो या दूंठ पड़ा हो, काँटे हों, उतराई की भूमि हो, फटी हुई काली जमीन हो, ऊँची-नीची भूमि हो
या कीचड़ अथवा दलदल पड़ता हो, (ऐसी स्थिति में) दूसरा मार्ग हो तो संयमी साधु उसी o मार्ग से जाए, किन्तु जो (गड्ढे आदि वाला विषम, किन्तु) सीधा मार्ग है, उससे न जाए।
1. पिण्डैषणा : प्रथम अध्ययन
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Pindesana : Frist Chapter
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